योगी सरकार ने वापस लिया COVID-19 अस्पताल में मोबाइल बैन का आदेश, इस्तेमाल पर नहीं लगेगी रोक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 22 मई को कोविड-19 अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए मोबाइल फोन रखने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले का विरोध शुरू होने के बाद योगी सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया है। साथ ही सरकार ने नया आदेश जारी किया है। नए आदेश के अनुसार, आइसोलेशन वार्ड में मरीज मोबाइल का इस्तेमाल कर सकेंगे। आपको बता दें कि कोरोना वायरस का कहर उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में अब तक 6017 पॉजिटिव केस सामने आ चुके है। वहीं, 3433 संक्रमित मरीज पूरी तरह से ठीक होकर डिस्चार्ज किए जा चुके है। वहीं, यूपी में अब तक कोरोना से 155 लोगों की मौत हुई है।
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मोबाइल
से
फैलता
है
संक्रमण
उत्तर
प्रदेश
के
स्वास्थ्य
महानिदेशक
केके
गुप्ता
की
तरफ
22
मई
को
जारी
किए
गए
आदेश
में
साफ-साफ
कहा
गया
था
कि
प्रदेश
के
कोविड-19
समर्पित
एल-2
और
एल-3
चिकित्सालयों
में
भर्ती
मरीजों
को
आइसोलेशन
वार्ड
में
मोबाइल
फोन
ले
जाने
की
अनुमति
नहीं
है,
क्योंकि
इससे
संक्रमण
फैलता
है।
चिकित्सा
महानिदेशक
ने
यह
भी
निर्देश
दिए
हैं
कि
कोविड
अस्पताल
के
इंचार्ज
को
दो
मोबाइल
फोन
उपलब्ध
कराएं
जाएं,
ताकि
मरीज
अपने
परिजनों
से
और
परिजन
अपने
मरीज
से
बात
कर
सकें।
नया
आदेश
ताजा
आदेश
के
मुताबिक
शर्तों
के
साथ
रोगियों
को
निजी
मोबाइल
के
प्रयोग
की
अनुमति
दी
जा
सकती
है।
आइसोलेशन
वार्ड
में
जाने
से
पहले
रोगी
यह
बताएगा
कि
उसके
पास
मोबाइल
फोन
और
चार्जर
है।
आइसोलेशन
वार्ड
में
भर्ती
होने
से
पहले
मोबाइल
और
चार्जर
को
चिकित्सालय
प्रबंधन
के
जरिए
डिसइंफेक्ट
किया
जाएगा।
वहीं
मोबाइल
और
चार्जर
रोगी
किसी
अन्य
मरीज
और
स्वास्थ्यकर्मी
के
साथ
साझा
नहीं
करेगा।
आइसोलेशन
वार्ड
से
डिस्चार्ज
होने
के
बाद
मरीज
का
मोबाइल
और
चार्जर
डिसइंफेक्ट
किया
जाएगा।
अखिलेश
ने
साधा
था
निशाना
योगी
सरकार
के
इस
फैसले
पर
समाजवादी
पार्टी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
और
उत्तर
प्रदेश
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
ने
निशाना
साधा।
रविवार
को
अखिलेश
यादव
ने
ट्वीट
किया,
'अगर
मोबाइल
से
संक्रमण
फैलता
है,
तो
आइसोलेशन
वॉर्ड
के
साथ
पूरे
देश
में
इसे
बैन
कर
देना
चाहिए।
यही
तो
अकेले
में
मानसिक
सहारा
बनता
है।
वस्तुतः
अस्पतालों
की
दुर्व्यवस्था
व
दुर्दशा
का
सच
जनता
तक
न
पहुंचे,
इसलिए
यह
पाबंदी
है।
जरूरत
मोबाइल
की
पाबंदी
की
नहीं,
बल्कि
सैनेटाइज
करने
की
है।'
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