करोड़ों की संपत्ति रखने वाले मंत्रियों का इनकम टैक्स भरती है यूपी सरकार, इस साल भरे 86 लाख
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले 28 सालों से सरकारी खजाने से मंत्रियों का इनकम टैक्स भरा जा रहा है। इस साल योगी सरकार ने मंत्रियों का 86 लाख रुपये का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा है। दरअसल ये कानून चार दशक पुराना है। इस कानून के तहत सीएम और सभी मंत्रियों के गरीब होने का हवाला देकर सरकारी खजानों से इनकम टैक्स भरा जा रहा है। वहीं चुनाव के दौरान जमा किए जाने वाले शपथपत्रों को ध्यान से देखें तो इनमें से कई मंत्रियों के पास करोड़ों की चल-अचल संपत्ति होती है और ये महंगी गाड़ियों में चलते हैं। अमीर नेताओं का भी टैक्स चुकाने वाला यह राज्य सबसे गरीब प्रदेशों की सूची में 19 वें नंबर पर है।
1981 में वीपी सिंह की थी शुरुआत
एनबीटी की खबर के अनुसार, यह सिलसिला साल 1981 में शुरू हुआ था, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीपी सिंह थे। इसी साल उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेज ऐंड मिसलेनीअस ऐक्ट बनाया गया था। इस ऐक्ट के एक सेक्शन में कहा गया है, 'सभी मंत्री और राज्य मंत्रियों को पूरे कार्यकाल के दौरान प्रति माह एक हजार रुपये सैलरी मिलेगी। सभी डेप्युटी मिनिस्टर्स को प्रतिमाह 650 रुपये मिलेंगे।' इसमें कहा गया है 'उपखंड 1 और 2 में उल्लेखित वेतन टैक्स देनदारी से अलग है और टैक्स का भार राज्य सरकार उठाएगी।'
19 सीएम बदले लेकिन कानून कायम रहा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब ये बिल विधानसभा से पास कराया जा रहा था उस समय पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने कहा था कि राज्य सरकार इनकम टैक्स का बोझ उठाए, क्योंकि अधिकतर मंत्री गरीब हैं और उनकी आमदनी बहुत कम है। बता दें कि 1981 से यूपी में 19 मुख्यमंत्री बदले, लेकिन यह कानून अपनी जगह कायम रहा।
इस वित्तीय वर्ष में भरा गया 86 लाख का टैक्स
पिछले दो वित्त वर्ष से योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री भी सरकारी खजाने से ही टैक्स भर रहे हैं। इस वित्त वर्ष में योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रियों का कुल टैक्स 86 लाख रुपये था जो सरकार की ओर से दिया गया है। उत्तर प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (फाइनेंस) संजीव मित्तलने इस बात की पुष्टि की कि 1981 के कानून के तहत मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों का टैक्स राज्य सरकार की ओर से भरा गया है।
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