यूपी विधानसभा उपचुनाव: 11 सीटों पर थमा चुनाव प्रचार, 21 अक्टूबर को होगा मतदान
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है। उपचुनाव के लिए शनिवार (19 अक्टूबर) की शाम पांच बजे चुनाव प्रचार थम गया। ये उपचुनाव ऐसे समय हो रहे हैं, जहां योगी सरकार के ढाई साल पूरे हो गए हैं। ऐसे में बीजेपी उपचुनाव के जरिए अपने राजनीतिक वर्चस्व को बरकरार रखना चाहती है। वहीं, सपा, बसपा और कांग्रेस उपचुनाव के जरिए अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाना चाहती है।
11
सीटों
पर
होगा
उपचुनाव
प्रदेश
की
11
सीटों
पर
उपचुनाव
होगा।
इसमें
लखनऊ
की
कैंट,
बाराबंकी
की
जैदपुर,
चित्रकूट
की
मानिकपुर,
सहारनपुर
की
गंगोह,
अलीगढ़
की
इगलास,
रामपुर,
कानपुर
की
गोविंदनगर,
बहराइच
की
बलहा,
प्रतापगढ़,
मऊ
की
घोसी
और
अंबेडकरनगर
की
जलालपुर
विधानसभा
सीट
हैं।
सपा-बसपा
गठंबधन
टूटने
के
बाद
बसपा
पहली
बार
उपचुनाव
के
मैदान
में
उतर
रही
है।
बसपा
के
चुनाव
मैदान
में
आने
से
मुकाबला
त्रिकोणीय
हो
गया
है।
लोकसभा
चुनाव
के
बाद
खाली
हुई
थी
सीट
बता
दें
कि
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
यूपी
के
विधायकों
के
जीतने
के
कारण
12
सीटें
रिक्त
हुई
थी।
उपचुनाव
वाले
12
विधानसभा
सीटों
में
से
9
सीटें
बीजेपी
के
कब्जे
में
रही
हैं
और
एक
सीट
उसके
सहयोगी
अपना
दल(एस)
के
पास
थी।
हालांकि
चुनाव
आयोग
ने
इन
12
सीटों
में
से
फिरोजाबाद
की
टुण्डला
सीट
पर
चुनाव
की
घोषणा
नहीं
की
है।
रामपुर
सीट
पर
होगा
दिलचस्प
मुकाबला
मुकदमों
में
घिरे
आजम
के
क्षेत्र
रामपुर
की
सीट
उनके
दबदबे
वाली
रही
है।
इस
सीट
पर
बीजेपी
लहर
के
बावजूद
2017
के
चुनाव
में
आजम
को
1
लाख
से
ज्यादा
वोटों
से
जीत
मिली
थी।
जो
बीजेपी
और
बसपा
से
कहीं
ज्यादा
थे।
इस
बार
यहां
से
सपा
ने
उनकी
पत्नी
तंजीन
फातमा
को
चुनाव
मैदान
में
उतारा
है।
बसपा
ने
मुस्लिम
दलितों
के
गठजोड़
पर
भरोसा
करते
हुए
मसूद
खान
को
प्रत्याशी
बनाया
है।
कांग्रेस
ने
भी
मुस्लिम
प्रत्याशी
उतारकर
अपने
वोट
बैंक
को
सहेजने
का
प्रयास
किया
है।
वहीं,
बीजेपी
भी
भारत
भूषण
गुप्ता
के
लिए
पूरी
ताकत
झोंक
रखी
है।