रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने के मामले दो अफसरों को मिली क्लीन चिट, नहीं चलेगा केस
लखनऊ। बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी का लखनऊ स्थित आवास जलाए जाने के मामले में यूपी सरकार ने एडीजी जोन कानपुर प्रेम प्रकाश (तत्कालीन डीआईजी/एसएसपी लखनऊ) और आईपीएस हरीश कुमार (तत्कालीन एएसपी पूर्वी लखनऊ) के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी। जबकि पांच अन्य आरोपितों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दे दी गई है।
2009
का
है
यह
मामला
मामला
बसपा
शासनकाल
का
है,
साल
2009
में
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
मायावती
पर
एक
टिप्पणी
कर
कांग्रेस
प्रदेश
अध्यक्ष
बसपाईयों
के
निशाने
पर
आ
गईं
थी।
कहा
जाता
है
कि
उसी
टिप्पणी
से
आक्रोशित
लोगों
ने
9
जुलाई
2009
को
लखनऊ
में
रीता
बहुगुणा
जोशी
के
घर
में
तोड़फोड़
कर
आगजनी
की
थी।
उस
समय
प्रेम
प्रकाश
लखनऊ
के
एसएसपी
और
हरीश
कुमार
एसपी
पूर्वी
थे।
तोड़फोड़
और
आगजनी
में
बसपा
के
पूर्व
विधायक
जीतेंद्र
सिंह
बबलू
और
बसपा
नेता
इंतजार
अहमद
आब्दी
बॉबी
के
अलावा
कई
अन्य
नाम
सामने
आए
थे।
बाद
में
मामले
की
जांच
सीबीसीआईडी
को
दे
दी
गई
थी।
पांच
आरोपियों
के
खिलाफ
चलेगा
मुकदमा
सीबीसीआईडी
ने
प्रेम
प्रकाश
और
हरीश
कुमार
के
खिलाफ
मुकदमा
चलाने
की
इजाजत
मांगी
थी
जिसे
सरकार
ने
ठुकरा
दिया।
वहीं,
पांच
अन्य
आरोपितों
बीएस
गरब्याल
(तत्कालीन
सीओ
हजरतगंज),
बलराम
सरोज
(तत्कालीन
इंस्पेक्टर
हुसैनगंज),
तत्कालीन
कांस्टेबल
हजरतगंज
वीरेंद्र
कुमार,
तत्कालीन
कांस्टेबल
हुसैनगंज
चंद्रशेखर
और
अशोक
कुमार
के
खिलाफ
मुकदमा
चलाने
की
इजाजत
सीबीसीआईडी
को
मिल
चुकी
है।