लखनऊ: ताले में बंद अंबेडकर की मूर्ति पर गेट फांदकर चढ़ाया फूल, दलित छात्रों ने की नारेबाजी
लखनऊ। यूपी के लखनऊ में 6 दिंसबर को बाबा भीमराव अंबेडकर के 63वें परिनिर्वाण दिवस के मौके पर अंबेडकर छात्रावास के छात्र हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने पहुंचे। इस दौरान गेट पर ताला और बैरिकेडिंग लगी देख सभी छात्र भड़क उठे। छात्रों ने गेट फांदकर आधी रात में अंबेडकर प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान अंबेडकर प्रतिमा के गेट पर छात्रों ने जय भीम के नारे लगाए। छात्रों का कहना है कि सरकार ने राजनीतिक कारणों के चलते प्रतिमा के गेट पर ताला लगवाया है।
दलित वोट भुनाने के लिए सीएम ने दिया बयान
छात्रों ने मुख्यमंत्री के भगवान हनुमान को दलित बताए जाने वाले बयान पर वोट बैंक हथियाने की बात कही। छात्रों का कहना है कि सीएम योगी ने दलित वोट भुनाने के लिए भगवान हनुमान को दलित बताया था। इतना ही नहीं, छात्रों ने कहा कि अगर सच में भगवान हनुमान दलित थे तो सभी हनुमान मंदिरों में दलितों को पुजारी बनाया जाए। छात्रों ने कहा कि योगी सरकार जुमलेबाजों की सरकार है, बस जुमलेबाजी कर रही है और कुछ नहीं। इतना ही नहीं छात्रों ने बाबा साहेब की प्रतिमा के गेट पर ताला लगाने को लेकर नाराजगी जताई।
एक जनसभा के दौरान सीएम ने भगवान हनुमान को बताया था दलित
बता दें कि राजस्थान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने भगवान हनुमान को दलित बताया था। उनके इस बयान के बाद जुबानी जंग शुरू हो गई थी। विपक्ष के अलावा खुद भाजपा सरकार के कई मंत्रियों ने भी कई बयान दिए थे। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ और कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने भगवान हनुमान को लेकर बयान दिया था। इस दौरान सांसद ने सीएम योगी के हनुमान की जो दलित बताने वाले बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि इस समय हनुमान जी की हर तरफ चर्चा हो रही है। उन्होंने पहलवानों को हनुमान जी सेना बताते हुए कहा कि, ये हनुमान जी की सेना है और अगर मैं उस समय अध्यक्ष होता तो बिना मेरी अनुमति के हनुमान जी जा नहीं सकते थे।
भाजपा सांसद ने दिया था अजीब बयान
बागपत से बीजेपी के सांसद सत्यपाल सिंह ने भगवान हनुमान की पहचान को लेकर अजीब बयान दिया था। मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा था, 'भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी। कोई दलित, वंचित और शोषित नहीं था। बाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस को आप अगर पढ़ेगे तो आपको मालूम चलेगा कि उस समय जाति व्यवस्था नहीं थी। हनुमान जी आर्य थे। इस बात को मैंने स्पष्ट किया है, उस समय आर्य थे और हनुमान जी उस आर्य जाति के महापुरुष थे।'
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