एक सीट और मंत्री पद देने की अखिलेश की बात को शिवपाल ने बताया मजाक, कहा- प्रसपा का समाजवादी पार्टी में नहीं होगा विलय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सवा साल का समय भले ही बाकी हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने-अपने सियासी समीकरण और गठजोड़ बनाने शुरू कर दिए हैं। इस क्रम में गुरुवार को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि वो छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 14 नवंबर को दिए उस बयान को मजा बताया। जिसमें अखिलेश ने कहा था कि सपा जसवंतनगर की सीट प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव के लिए छोड़ देगी। इतना ही नहीं, राज्य में सपा की सरकार बनी तो चाचा शिवपाल को कैबिनेट मंत्री भी बनाया जाएगा।
प्रसपा
का
सपा
में
नहीं
होगा
विलय
समाजवादी
पार्टी
(प्रसपा)
के
अध्यक्ष
और
मुलायम
सिंह
यादव
के
छोटे
भाई
शिवपाल
सिंह
यादव
गुरुवार
को
लखनऊ
में
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
की।
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
में
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
मीडिया
से
बात
करते
हुए
कहा,
'2022
के
यूपी
विधानसभा
चुनाव
के
लिए
प्रसपा
का
समाजवादी
पार्टी
में
विलय
नहीं
होगा,
बल्कि
छोटी-छोटी
पार्टियों
के
साथ
गठबंधन
कर
चुनाव
लड़ेंगे।'
इससे
पहले
19
नवंबर
को
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
मीडिया
से
बात
करते
हुए
कहा
था
कि
सम्मानजनक
सीटें
मिलने
पर
समाजवादी
पार्टी
(सपा)
के
साथ
गठबंधन
किया
जाएगा।
21
दिसंबर
को
मेरठ
में
रैली
कर
फूंकेंगे
चुनाव
का
बिगुल
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
कहा
कि
21
दिसंबर
को
मेरठ
के
सिवाल
खास
विधानसभा
क्षेत्र
में
रैली
कर
यूपी
विधानसभा
चुनाव
का
बिगुल
फूंकेंगे।
इसके
बाद
गांव-गांव
में
पद
यात्रा
करेंगे।
इतना
ही
नहीं,
23
दिसंबर
को
इटावा
के
हैवरा
ब्लॉक
में
चौधरी
चरण
सिंह
के
जन्मदिवस
पर
एक
कार्यक्रम
का
आयोजन
होगा।
इसके
बाद
24
दिसंबर
से
गांव-गांव
पदयात्रा
की
जाएगी
जो
कि
अगले
छह
महीने
तक
चलेगी।
उन्होंने
बताया
कि
इसके
लिए
प्रचार
रथ
तैयार
किया
जा
रहा
है।
भाजपा
सरकार
में
परेशान
है
किसान:
शिवपाल
यादव
मीडिया
से
बात
करते
हुए
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
कहा
कि
भाजपा
की
सरकार
में
अन्नदाता
सबसे
ज्यादा
परेशान
है।
कहा
कि,
अन्नदाताओं
के
प्रति
ऐसा
अमानवीय
अत्याचार
करने
वालों
को
सत्ता
में
बने
रहने
का
अधिकार
नहीं
है।
लोकतंत्र
में
सांकेतिक
विरोध
प्रदर्शन
का
अधिकार
सभी
को
है।
यही
लोकतंत्र
की
ताकत
है।
बड़ी
सी
बड़ी
समस्याओं
को
बातचीत
के
द्वारा
हल
किया
जा
सकता
है।
जन
आकांक्षा
के
दमन
और
लाठीचार्ज
के
लिए
लोकतंत्र
में
कोई
जगह
नहीं
है।