निजीकरण के विरोध में लाखों बिजलीकर्मियों की हड़ताल से यूपी में हाहाकार, सीएम योगी ने बुलाई आपात बैठक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में लाखों बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं जिससे राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में बत्ती गुल है और बिजली, पानी न मिलने से लोगों में हाहाकार है। सोमवार को एक दिन के हड़ताल के आह्वान के बाद बिजली कर्मचारियों के संगठन ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांग अनसुनी की गई तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। सोमवार से ही प्रदेश के सभी सब स्टेशन पर कामकाज ठप है और विद्युत उत्पादन भी बंद है। राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास समेत अन्य मंत्रियों, विधायकों के आवास में भी बिजली व्यवस्था के हालात खराब हुए तो वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर आपात बैठक बुलाई है जिसमें उर्जा विभाग के मंत्री श्रीकांत शर्मा, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, मुख्य सचिव समेत अन्य आलाधिकारियों को तलब किया है।
हड़ताल खत्म होने का मामला ऐसे बिगड़ा
उत्तर प्रदेश के लाखों बिजली कर्मचारियों ने सोमवार को एक दिन की हड़ताल की। इस दौरान उर्जा मंत्री और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत अगले साल 31 मार्च तक का समय कर्मचारियों को दिया गया कि वो इस अवधि में बिजली विभाग में हो रहे घाटे को कम करने पर काम करें। इस समझौते के तहत अगले साल मार्च तक निजीकरण के फैसले को टालने की बात कही गई। लेकिन यूपीपीसीएल के चेयरमैन इस समझौते के लिए तैयार नहीं हुए जिसके बाद संघर्ष समिति ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यूपीपीसीएल प्रबंधन ने हमारे प्रस्ताव को ठुकरा दिया जिसके बाद बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार को जारी रखने का फैसला लिया है। सरकार को कर्मचारियों को भरोसे में लेकर विभाग को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए न कि इसका निजीकरण करना चाहिए, हम सब निजीकरण के खिलाफ हैं और इसका विरोध करेंगे।
पार्टियों
के
नेताओं
से
समर्थन
के
लिए
मुलाकात
संघर्ष
समिति
ने
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
से
अपील
की
है
कि
वे
उर्जा
विभाग
में
बढ़
रहे
असंतोष
के
मसले
पर
ध्यान
दें
और
इसके
समाधान
के
लिए
हस्तक्षेप
करें।
यही
नहीं
प्रदेश
के
उर्जा
अधिकारियों
के
संगठन
के
पदाधिकारी
के
बी
राम
और
अवधेश
कुमार
वर्मा
सोमवार
को
प्रदेश
भाजपा
अध्यक्ष
स्वतंत्र
देव
सिंह,
प्रदेश
कांग्रेस
अध्यक्ष
अजय
कुमार
लल्लू,
बसपा
नेता
सतीश
चंद्र
मिश्रा
से
भी
मिले
और
निजीकरण
के
विरोध
पर
समर्थन
मांगा।
अवधेश
कुमार
वर्मा
ने
कहा
कि
इस
कार्य
बहिष्कार
में
अस्पताल
जैसे
जरूरी
सेवाओं
से
जुड़े
बिजलीकर्मियों
को
शामिल
नहीं
किया
गया
है।
प्रदेश
सरकार
ने
बिजलीकर्मियों
को
विद्युत
उत्पदान
और
आपूर्ति
में
बाधा
पहुंचाने
को
लेकर
सख्त
कार्रवाई
की
चेतावनी
दी
है।
प्रयागराज
में
छात्र
और
लोग
सड़क
पर
उतरे
प्रयागराज
जिले
में
निजीकरण
के
विरोध
में
बिजली
विभाग
के
कर्मचारी
और
अधिकारियों
की
अनिश्चितकालीन
हड़ताल
से
शहर
से
लेकर
गांव
तक
हर
ओर
हाहाकार
मचा
हुआ
है।
मंगलवार
सुबह
से
ही
तेलियरगंज
में
प्रतियोगी
छात्रों
और
स्थानीय
लोगों
ने
विद्युत
सब
स्टेशन
का
घेराव
कर
प्रयागराज
लखनऊ
हाईवे
पर
जाम
लगा
दिया।
बिजली
और
पानी
न
मिलने
से
खासतौर
पर
प्रतियोगी
छात्रों
को
दिक्कत
हो
रही
है।
11
अक्टूबर
को
पीसीएस
प्री
2020
की
परीक्षा
आयोजित
होने
वाली
है
लेकिन
बिजली
और
पानी
ना
होने
की
वजह
से
तमाम
स्टूडेंट्स
सड़कों
पर
उतरकर
प्रदर्शन
करने
को
मजबूर
हैं।
प्रदर्शन
कर
रहे
स्टूडेंट्स
और
आम
लोगों
ने
जल
विद्युत
आपूर्ति
बहाल
करने
की
मांग
शासन
और
प्रशासन
से
की
है।
मेरठ
में
भी
बिजली
आपूर्ति
व्यवस्था
चरमराई
मेरठ
में
दूसरे
दिन
भी
विद्युत
कर्मचारी
हड़ताल
पर
रहे।
विद्युत
कर्मचारियों
ने
विक्टोरिया
पार्क
स्थित
पीवीएनएल
के
कार्यालय
पर
धरना
देते
हुए
जमकर
हंगामा
किया।
कर्मचारियों
की
हड़ताल
के
दौरान
जहां
विद्युत
व्यवस्था
चरमराने
के
हालात
बने
हैं,
वहीं
इन
हालात
को
काबू
करने
के
लिए
प्रशासनिक
और
विद्युत
विभाग
के
अधिकारी
एड़ी-चोटी
का
जोर
लगाए
हुए
हैं।
कर्मचारियों
की
हड़ताल
के
चलते
अधिकारियों
ने
विद्युत
आपूर्ति
सुचारू
रखने
के
उद्देश्य
से
जिले
के
बिजलीघरों
की
कमान
संविदा
कर्मचारियों,
पूर्व
सैनिकों
और
आईटीआई
के
छात्रों
के
हाथों
में
सौंप
दी
है।
विभाग
के
कैश
काउंटर
और
कार्यालय
बंद
होने
के
कारण
विद्युत
विभाग
के
ऑफिसों
में
अपना
काम
कराने
आए
लोग
भटकते
देखे
गए।