समाजवादी पार्टी ने वापस ली शिवपाल यादव की सदस्यता रद्द करने वाली याचिका, बने रहेंगे MLA
लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने वाली याचिका समाजवादी पार्टी ने वापस ले ली है। सपा के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष ह्रदयनारायण दीक्षित ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी को इसके लिए मंजूरी दे दी। बता दें कि नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने 23 मार्च को प्रार्थना पत्र देकर जसवंतनगर से विधायक शिवपाल यादव के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने की याचिका वापस करने की मांग की गई थी।
बता दें कि यादव परिवार में आंतरिक कलह के चलते सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी का गठन किया था। इस पर समाजवादी पार्टी के दल नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिर्वतन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की गयी थी। करीब दो माह पूर्व चौधरी ने प्रार्थना पत्र देकर विधानसभा अध्यक्ष से याचिका वापस करने का आग्रह किया था। रामगोविंद चौधरी ने कहा कि याचिका प्रस्तुत करते समय कई महत्वपूर्ण अभिलेख व साक्ष्य संलग्न नहीं किए जा सके थे, ऐसे में याचिका वापस की जाए।
इटावा में लंबे समय से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की विरासत के सहेज रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी ने दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहरा कर बड़ा झटका दिया था। शिवपाल सिंह समाजवादी पार्टी से इटावा के जसवंतनगर से विधायक हैं। जसवंतनगर से मुलायम सिंह यादव विधायक हुआ करते थे, उनके लोकसभा सदस्य बनने के बाद से शिवपाल सिंह यादव 1996 से वहां से लगातार विधानसभा सदस्य हैं।
बता दें कि पार्टी में एकाधिकार को लेकर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही चाचा-भतीजे के बीच महाभारत शुरू हो गई थी। शिवपाल ने विधानसभा चुनाव के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी। लोकसभा चुनावों 2019 में शिवपाल यादव की पार्टी ने भतीजे और भाई के खिलाफ ताल ठोंकी थी, लेकिन शिवपाल की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। शिवपाल सिंह यादव खुद फीरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव हार गए थे।
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