WHO ने योगी सरकार को सराहा तो सपा ने साधा निशाना, कहा- 'प्राण वायु' की कालाबाजारी तक नहीं रोक पा रही
लखनऊ, मई 12: ग्रामीण इलाकों में योगी सरकार के कोरोना ट्रेसिंग मॉडल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सराहा है। तो वहीं, समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। इतना ही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा सराहे जाने को झूठा बताते हुए लिखा, 'तड़पते नागरिकों को दरकिनार कर अपनी शान में कसीदे पढ़ने वाली बीजेपी सरकार असलियत में 'प्राण वायु' की कालाबाजारी तक नहीं रोक पा रही, शर्मनाक!'
प्राण
वायु
की
कालाबाजारी
तक
नहीं
रोक
पा
रही:
सपा
समाजवादी
पार्टी
के
ऑफिशियल
फेसबुक
पेज
ऑक्सीजन
की
कमी
की
खबरों
वाली
अखबारों
तस्वीरें
शेयर
की
गई
है।
साथ
ही
लिखा
है
कि,
'झूठे
दावे
कर
डब्ल्यूएचओ
की
वाह
वाही
का
हवाला
दे
मरते
और
तड़पते
नागरिकों
को
दरकिनार
कर
अपनी
शान
में
कसीदे
पढ़ने
वाली
बीजेपी
सरकार
असलियत
में
'प्राण
वायु'
की
कालाबाजारी
तक
नहीं
रोक
पा
रही,
शर्मनाक!
सीएम
के
गृह
जनपद
गोरखपुर
में
40
हजार
रुपए
का
बेचा
जा
रहा
₹
7
हजार
का
सिलेंडर।
राजधानी
लखनऊ
में
प्लांट
को
ही
मनमाने
दामों
पर
बेची
जा
रही
ऑक्सीजन।
अलीगढ़
में
₹
23
हजार
का
ऑक्सीजन
कंसंट्रेटर
जीएसटी
लगने
के
बाद
₹90
हजार
का
मिल
रहा।
मेडिकल
ऑक्सीजन
सप्लाई
का
संतुलन
बनाने
के
लिए
प्रदेश
व्यापी
रोड
मैप
बना
इसे
जल्द
से
जल्द
दुरुस्त
करे
सरकार।
कोरोना
ट्रेसिंग
मॉडल
को
डब्ल्यूएचओ
ने
सराहा
दरअसल,
ग्रामीण
इलाकों
में
राज्य
सरकार
के
कोरोना
ट्रेसिंग
मॉडल
को
डब्ल्यूएचओ
ने
सराहा
है।
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
ने
अपनी
वेबसाइट
पर
यूपी
सरकार
के
कोविड
प्रबंधन
की
खुलकर
तारीफ
की
है।
डब्ल्यूएचओ
ने
यूपी
के
ग्रामीण
इलाकों
में
कोरोना
को
रोकने
के
लिए
चलाए
जा
रहे
महा
अभियान
की
चर्चा
करते
हुए
रिपोर्ट
में
बताया
है
कि
राज्य
सरकार
ने
किस
तरह
से
75
जिलों
के
97941
गांवों
में
घर-घर
संपर्क
कर
कोरोना
की
जांच
करने
के
साथ
आइसोलेशन
और
मेडिकल
किट
की
सुविधा
उपलब्ध
कराई।
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डब्ल्यूएचओ
की
टीम
खुद
जाना
कोविड
मैनेजमेंट
का
हाल
प्रदेश
सरकार
के
प्रवक्ता
के
अनुसार
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
ने
सरकार
के
कोविड
मैनेजमेंट
को
धरातल
पर
परखने
के
लिए
यूपी
के
ग्रामीण
इलाकों
में
10
हजार
घरों
का
दौरा
किया।
डब्ल्यूएचओ
की
टीम
ने
खुद
गांवों
में
कोविड
मैनेजमेंट
का
हाल
जाना।
कोरोना
मरीजों
से
उनको
मिल
रही
चिकित्सीय
सुविधाओं
के
बारे
में
पूछताछ
की।
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
के
विशेषज्ञों
ने
फील्ड
में
काम
कर
रही
2
हजार
सरकारी
टीमों
कामकाज
की
गहन
समीक्षा
भी
की
है।