आरएसएस नेता दत्तात्रेय होसबोले का विवादित बयान; कहा, पूरे भारत का सिर्फ एक ही डीएनए है और वो है...
आरएसएस के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले ने शुक्रवार को एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि पूरे भारत का केवल एक ही डीएनए है और वह है 'हिंदू।'
लखनऊ। आरएसएस के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबोले ने शुक्रवार को एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि पूरे भारत का केवल एक ही डीएनए है और वह है 'हिंदू।' उन्होंने आगे कहा, 'संघ में हिंदू एक राष्ट्रवाचक शब्द है। पूरे भारत का एक डीएनए है और उस डीएनए का नाम हिंदू है।
हिंदुत्व की एक पहचान है और खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वालों ने इस तथ्य के बावजूद कि यह एक विविध विचार है, इसे सांप्रदायिक बताया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस जो भी हिंदुत्व पर कहता है उसे समझा जाना चाहिए। उन्होंने ये बातें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में, संगठन के वरिष्ठ प्रचारक और अखिल भारतीय सह प्रचारक सुनील आंबेकर द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर लिखित एक पुस्तक जारी करने के मौके पर कहीं।
'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र' शीर्षक वाली इस पुस्तक को दत्तात्रेय होसाबले ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, 'सौ साल पहले, हिंदू शब्द की व्याख्या एक बड़े संदर्भ में की गई थी। जो लोग देश की दीर्घकालिक परंपराओं को नहीं समझते थे, उन्होंने इसे सांप्रदायिक बना दिया।' उन्होंने आगे कहा कि, 'कुछ लोग कहते हैं कि हम हिंदू नहीं हैं, लेकिन भारतीय हैं। कुछ राजनीतिक कारणों के चलते इसे टालते हैं। यह उनका विचार है, लेकिन नाम महत्वपूर्ण हैं।
आप मडोना की तस्वीर के आगे किसी किसी और का नाम नहीं लगा सकते।' होसबले ने कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि अगर भारत हिंदू राष्ट्र बन जाता है, तो क्या होगा। ये लोग हिंदू और राष्ट्र शब्द नहीं समझते हैं। अगर आप अयोध्या को होनोलूलू कहेंगे, तो यह उचित नहीं होगा।'
वहीं,
इस
मौके
पर
योगी
आदित्यनाथ
ने
कहा
कि
यदि
कोई
आरएसएस
को
समझना
चाहता
है
तो
उसे
पहले
संगठन
के
सेवा
के
पहलुओं
को
समझना
होगा।
उन्होंने
कहा
किसी
भी
आपदा
के
समय
स्वयंसेवक
संघ
के
कार्यकर्ता
सबसे
आगे
रहते
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
कोरोना
काल
में
आरएसएस
के
कार्यकर्ताओं
ने
जाति-धर्म
का
भेदभाव
किये
बिना
अपनी
सेवाएं
दीं।
आरएसएस
की
आलोचना
के
मुद्दे
पर
योगी
आदित्यनाथ
ने
कहा,
'यदि
आपके
विरुद्ध
कोई
बोलने
वाला
न
बचे
तो
समझ
लो
कि
आप
अच्छा
कार्य
नहीं
कर
रहे
हैं।
जब
आरएसएस
को
प्रोत्साहित
किया
जाता
है
तो
भी
संगठन
कोई
घंमड
नहीं
करता
है।
इसके
अलावा
संगठन
ने
अपनी
आलोचनाओं
पर
कभी
गुस्सा
नहीं
जताया
है।