अखिलेश का एहसान चुकाने आजमगढ़ में प्रचार कर रहे RLD चीफ जयंत चौधरी, जानिए क्यों निभाना पड़ रहा गठबंधन धर्म
लखनऊ, 17 जून। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी और आरएलडी के बीच गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया था लेकिन अखिलेश ने जयंत को राज्यसभा भेजकर एक तीर से कई निशाने साधे थे। अखिलेश यादव ने जयंत को राज्यसभा भेजकर अपना वादा पूरा किया था वहीं पश्चिमी यूपी में जाट बिरादरी के बीच एक संदेश देने की कोशिश की थी। गठबंधन धर्म का पालन करने वाले अखिलेश का एहसान चुकाने के लिए जयंत अब आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव का प्रचार करने के लिए उतर पड़े हैं। हालाकि जयंत के अलावा ओम प्रकाश राजभर भी आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव का प्रचार करते देखे जा रहे हैं।

जयंत चौधरी ने दोस्ती निभाने के लिए आजमगढ़ में डाला डेरा
आरएलडी चीफ जयंत चौधरी आजमगढ़ में घूम घूम कर प्रचार कर रहे हैं। कई जगहों पर उनके कार्यक्रम लगाए गए हैं। हालाकि आजमगढ़ में न तो उनके प्रशंसक हैं और न ही उनकी अपनी बिरादरी है जिस पर उनका प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक पंडितों की मानें तो जयंत चौधरी गठबंधन धर्म का पालन करने के लिए आजमगढ़ पहुंचे हुए हैं। जयंत आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी का प्रचार कर ये संदेश देना चाहते हैं की अखिलेश और जयंत साथ साथ हैं।

गठबंधन में एकजुटता का संदेश देने की कवायद
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश और जयंत का गठबंधन तोड़ने के लिए बीजेपी ने पूरा प्रयास किया था। लेकिन जयंत ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे। विधानसभा चुनाव में हालाकि समाजवादी पार्टी को 111 और लोकदल को 8 सीटें मिली थीं। चुनाव के बाद यूपी में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए घमासान मचा था। इसने समाजवादी पार्टी को 3 सीटें मिलीं थीं। लेकिन इन सीटों को लेकर जयंत के अलावा ओम प्रकाश राजभर ने भी दावेदारी ठोकी थी। लेकिन अखिलेश यादव ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जयंत को राज्यसभा भेजने का फैसला किय था। अखिलेश के इस फैसल ने गठबंधन को मजबूती देने का प्रयास किया था। अब उसी एहसान को चुकाने के लिए जयंत आजमगढ़ में प्रचार कर रहे हैं।

पश्चिम की जाट बिरादरी को भी संदेश देना चाहते हैं जयंत
विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश ने जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजकर जाट समाज को साधने का प्रयास किया था। अखिलेश के उसी भरोसे को वापस करने के लिए जयंत आजमगढ़ में प्रचार के लिए पहुंचे हैं। दरअसल जयंत चौधरी भी अपने समाज में ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अखिलेश और उनके बीच सबकुछ ठीक है। गठबंधन में सबकुछ सही चल रहा है। आरएलडी के सूत्रों की माने तो जयंत चौधरी जल्द ही पश्चिमी यूपी में अपने मिशन 2024 की शुरुवात भी करेंगे। इसके तहत वो पश्चिमी यूपी के कई जिलों में छोटी छोटी जनसभाएं करेंगे।

ओम प्रकाश राजभर भी कर रहे समाजवादी पार्टी का प्रचार
राज्यसभा चुनाव के दौरान ओम प्रकाश राजभर ने भी अपने बेटे के लिए टिकट की दावेदारी की थी लेकिन अखिलेश ने उनकी डिमांड पर कोई भाव नहीं दिया था। इसके बाद ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश को लेकर बयान दिया था। राजभर ने कहा था कि अखिलेश को एसी कमरे से बाहर निकलकर राजनीति करनी चाहिए। इस बयान के बाद इस तरह की अटकलें लगाई जाने लगी थी कि अखिलेश और राजभर के बीच सबकुछ सही नहीं चल रहा है। राज्यसभा के बाद एमएलसी की 13 सीटों को लेकर चुनाव हुआ। इसने भी राजभर ने बेटे को भेजने के लिए जोर लगाया लेकिन अखिलेश ने उनकी मांग को फिर से अनसुना कर दिया था। इसके बाद लग रहा था कि अब गठबंधन टूटने की कगार पर पहुंच गया है लेकिन राजभर ने मझें हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह चुप्पी साधना ही बेहतर समझा। अब वो भी आजमगढ़ में गठबंधन धर्म का पालन करते नजर आ रहे हैं।

महान दल के नेता केशव देव मौर्य ने तोड़ लिया था गठबंधन
विधानसभा छुआ के दौरान गठबंधन में शामिल महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने अखिलेश को पिछड़ा विरोधी बताते हुए अपना गठबंधन तोड़ने का एलान कर दिया था। दरअसल एमएलसी के चुनाव में अखिलेश ने केशव देव मौर्य को एमएलसी बनाने से इंकार कर दिया था। इससे नाराज होकर केशव देव ने अपना गठबंधन तोड़ लिया था। इसमें भी रोचक यह रहा कि समाजवादी पार्टी ने केशव देव मौर्य को चुनाव में प्रचार के लिए जो फॉर्च्यूनर दी थी उसे वापस ले लिया था। हालाकि राजनीतिक पंडितों की माने तो अखिलेश यादव को केशव देव मौर्य के साथ बैठकर बात करनी चाहिए थी। इससे एक अच्छा मेसेज जाता और गठबंधन में दरार नहीं पड़ती।
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