RLD प्रमुख चौधरी अजित सिंह का हुआ कोरोना से निधन, गुरुग्राम के अस्पताल में चल रहा था इलाज
RLD प्रमुख चौधरी अजित सिंह का हुआ कोरोना से निधन, गुरुग्राम के अस्पताल में चल रहा था इलाज
लखनऊ, मई 06: कोरोना संक्रमण से जूझ रहे राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह का गुरुवार (06 मई) की सुबह निधन हो गया। आरएलडी प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 82 वर्षीय अजित सिंह की तबीयत मंगलवार की रात अचानक से बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बता दें कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह के फेफड़ों में संक्रमण बढ़ गया था, जिसकी वजह से उनकी हालत नाजुक थी।
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चौधरी अजित सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री थे। अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी, 1939 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। अजित सिंह ने अपनी शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय और आईआईटी खड़गपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से ग्रहण की थी। चौधरी अजित सिंह बागपत से सात बार सांसद और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। 82 साल की उम्र में उनका कोरोना संक्रमण से निधन हो गया। उनके निधन के बाद बागपत समेत पश्चिमी यूपी में शोक की लहर है। चौधरी अजित सिंह की गिनती बड़े जाट नेताओं में होती थी।
अजित
सिंह
1986
से
की
थी
सियासी
सफर
की
शुरुआत
राष्ट्रीय
लोकदल
(आरएलडी)
के
प्रमुख
ने
अपने
सियासी
सफर
की
शुरुआत
1986
से
की
थी।
उस
समय
उन्हें
राज्यसभा
भेजा
गया
था।
इसके
बाद
1987
से
1988
तक
वह
लोकदल
(ए)
और
जनता
पार्टी
के
अध्यक्ष
भी
रहे।
1989
में
अपनी
पार्टी
का
विलय
जनता
दल
में
करने
के
बाद
वह
उसके
महासचिव
बन
गए।
1989
में
अजित
सिंह
पहली
बार
बागपत
से
लोकसभा
पहुंचे
थे।
वीपी
सिंह
सरकार
में
उन्हें
केंद्रीय
मंत्री
बनाया
गया।
इसके
बाद
वह
1991
में
फिर
से
बागपत
से
ही
लोकसभा
पहुंचे।
इस
बार
नरसिम्हाराव
की
सरकार
में
उन्हें
मंत्री
बनाया
गया।
1996
में
वह
तीसरी
बार
कांग्रेस
के
टिकट
पर
लोकसभा
पहुंचे
थे।
1997
में
राष्ट्रीय
लोकदल
की
स्थापना
चौधरी
अजित
सिंह
ने
1997
में
उन्होंने
राष्ट्रीय
लोकदल
की
स्थापना
की
और
1997
के
उपचुनाव
में
बागपत
से
जीतकर
लोकसभा
पहुंचे।
1998
में
चुनाव
में
वह
हार
गए,
लेकिन
1999
के
चुनाव
में
फिर
जीतकर
लोकसभा
पहुंचे।
2001
से
2003
तक
अटल
बिहारी
सरकार
में
चौधरी
अजित
सिंह
मंत्री
रहे।
2011
में
वह
यूपीए
का
हिस्सा
बन
गए।
2011
से
2014
तक
वह
मनमोहन
सरकार
में
मंत्री
रहे।
2014
में
वह
मुजफ्फरनगर
सीट
से
लड़े,
लेकिन
हार
गए।
2019
का
चुनाव
भी
चौधरी
अजित
सिंह
मुजफ्फरनगर
से
लड़े,
लेकिन
इस
बार
भी
बीजेपी
प्रत्याशी
संजीव
बलियान
ने
उन्हें
हरा
दिया
था।