भगोड़े आईपीएस अरविंद सेन यादव हुए 50 हजार रुपए के इनामी, संस्तुति के बाद बढ़ाई गई राशि
Animal Husbandry Department scam, लखनऊ। पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) में 240 करोड़ रुपए का टेंडर घोटाला सामने आया था। इस मामले में 25 दिसंबर को आरोपी आईपीएस अरविन्द सेन यादव (IPS Arvind Sen Yadav) को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया था। तो वहीं, अब अरविंद सेन पर इनाम की राशि 25 हजार से बढ़कार 50 हजार रुपए कर दी गई है। सोमवार को लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने यह फैसला किया।
इस संबंध में संयुक्त पुलिस कमिश्नर नीलाब्जा चौधरी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि आईपीएस अरविंद सेन के न्यायालय से भगोड़ा घोषित होने के बाद गोमती नगर और अयोध्या स्थित आवास पर कुर्की का नोटिस चिपकाया गया है। बताया कि सेन पर 25 हजार का इनाम भी घोषित किया गया था। जिसे जांच अधिकारी एसीपी श्वेता श्रीवास्तव और डीसीपी सेंट्रल सोमेन वर्मा की संस्तुति पर बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया गया है।
क्या
था
पूरा
मामला?
इंदौर
के
पीड़ित
व्यापारी
मंजीत
भाटिया
की
शिकायत
के
बाद
इस
मामले
में
14
जून
को
राज्यमंत्री
जय
प्रताप
निषाद
के
निजी
प्रधान
सचिव
रजनीश
दीक्षित,
निजी
सचिव
धीरज
कुमार
देव,
पत्रकार
आशीष
राय,
अनिल
राय
के
अलावा
तीन
अन्य
आरोपियों
को
गिरफ्तार
किया
गया
था।
मंजीत
भाटिया
ने
गिरफ्तार
हुए
लोगों
पर
आरोप
लगाया
था
कि
भांडा
फूटने
पर
जब
उन्होंने
अपना
पैसा
वापस
मांगा
सीबीसीआईडी
के
तत्कालीन
एसपी
अरविंद
सेन
के
साथ
सांठगांठ
कर
उनको
धमकी
दी
गई
थी।
मंजीत भाटिया के आरोपों की जांच एसटीएफ ने की तो सीबीसीआईडी के तत्कालीन एसपी अरविंद सेन के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए। आरोप सही पाए जाने के बाद योगी सरकार ने कार्रवाई करते हुए इनको निलंबित कर दिया था। इस फर्जीवाड़े की एसटीएफ ने जांच की तो घोटाले के आरोपियों से आईपीएस दिनेश दुबे की मिलीभीगत का भी पता चला। वे रुल्स एंड मैनुअल्स में डीआईजी थे। सरकार ने उनको भी सस्पेंड कर दिया था।
विधानसभा
सचिवालय
में
बनाया
था
दफ्तर
जून
में
इंदौर
के
व्यापारी
मंजीत
पांडेय
को
पशुपालन
विभाग
में
240
करोड़
रुपए
का
ठेका
दिलाने
के
लिए
विधानसभा
सचिवालय
में
फर्जी
दफ्तर
बनाकर
बड़े
ही
फिल्मी
तरीके
से
करीब
दस
करोड़
का
चूना
लगाया
गया।
पैसे
मांगने
पर
जब
आरोपियों
ने
उसे
धमकाया
तब
जाकर
व्यापारी
ने
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
तक
अपनी
बात
पहुंचाई।
शासन
ने
हजरतगंज
थाने
में
रिपोर्ट
दर्ज
कराकर
एसटीएफ
को
मामले
की
जांच
में
लगाया
तो
मामले
का
परत-दर-परत
खुलासा
हो
गया।