पुलिस कमिश्नर सिस्टम यूपी में होगा लागू, IPS अधिकारी को मिलेंगे अब ये अधिकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा को पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने पर योगी सरकार विचार कर रही है। राज्य सरकार का तर्क ये है कि इससे जिलों की कानून व्यवस्था बेहतर होगी। लॉ एंड ऑर्डर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास रहेंगे। बता दें कि अगले हफ्ते होने वाली कैबिनेट मीटिंग में इसे लेकर प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना है। प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगते ही लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर की तैनाती होगा। आइए आपको बताते हैं कि आखिर पुलिस कमिश्नरी प्रणाली क्या होती है...
पुलिस
कमिश्नर
को
मिलती
है
DM
की
पॉवर
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक,
पुलिस
कमिश्नरी
प्रणाली
लागू
होने
के
बाद
पुलिस
कमिश्नर
को
भारतीय
पुलिस
अधिनियम
1861
के
भाग
4
के
अंतर्गत
जिलाधिकारी
यानी
डिस्ट्रिक
मजिस्ट्रेट
के
अधिकार
भी
मिल
जाते
हैं।
इस
पद
पर
आसीन
अधिकारी
आईएएस
होता
है।
लेकिन
पुलिस
कमिश्नरी
सिस्टम
लागू
हो
जाने
के
बाद
ये
अधिकार
पुलिस
अफसर
को
मिल
जाते
हैं,
जो
एक
IPS
होता
है।
साथ
ही
दण्ड
प्रक्रिया
संहिता
के
तहत
एक्जीक्यूटिव
मजिस्ट्रेट
को
भी
कानून
और
व्यवस्था
को
विनियमित
करने
के
लिए
कुछ
शक्तियां
मिलती
है।
इसी
की
वजह
से
पुलिस
अधिकारी
सीधे
कोई
फैसला
लेने
के
लिए
स्वतंत्र
नहीं
हैं,
वे
आकस्मिक
परिस्थितियों
में
डीएम
या
कमिश्नर
या
फिर
शासन
के
आदेश
के
तहत
ही
कार्य
करते
हैं,
लेकिन
पुलिस
कमिश्नरी
प्रणाली
में
IPC
और
CRPC
के
कई
महत्वपूर्ण
अधिकार
पुलिस
कमिश्नर
को
मिल
जाते
हैं।
प्रतिबंधात्मक
कार्रवाई
का
अधिकार
पुलिस
कमिश्नर
प्रणाली
में
पुलिस
कमिश्नर
सर्वोच्च
पद
होता
है।
ज्यादातर
यह
प्रणाली
महानगरों
में
लागू
की
गई
है।
पुलिस
कमिश्नर
को
ज्यूडिशियल
पॉवर
भी
होती
हैं।
दण्ड
प्रक्रिया
संहिता
के
तहत
कई
अधिकार
इस
पद
को
मजबूत
बनाते
हैं।
इस
प्रणाली
में
प्रतिबंधात्मक
कार्रवाई
के
लिए
पुलिस
ही
मजिस्ट्रेट
पॉवर
का
इस्तेमाल
करती
है।
आर्म्स
एक्ट
के
मामले
भी
निपटाते
हैं
कमिश्नर
पुलिस
कमिश्नरी
प्रणाली
लागू
होने
के
बाद
महानगर
को
कई
जोन
में
विभाजित
किया
जाता
है।
हर
जोन
में
डीसीपी
की
तैनाती
होती
है।
जो
एसएसपी
की
तरह
उस
जोन
को
डील
करता
है।
सीओ
की
तरह
एसीपी
तैनात
होते
हैं।
जो
2
से
चार
थानों
को
डील
करते
हैं।
वहीं,
आर्म्स
एक्ट
के
मामले
भी
पुलिस
कमिश्नर
डील
करते
हैं।
इस
तरह
है
महानगर
की
कानून
व्यवस्था
भी
मजबूत
होती
है
और
नागरिकों
को
सुरक्षा
का
अहसास
होता
है।
पुलिस
कमिश्नर
प्रणाली
की
शुरूआत
अंग्रेजों
ने
की
थी
पूरे
देश
में
पुलिस
प्रणाली
पुलिस
अधिनियम,
1861
पर
आधारित
थी
और
आज
भी
ज्यादातर
शहरों
में
पुलिस
प्रणाली
इसी
अधिनियम
पर
आधारित
है।
इसकी
शुरूआत
अंग्रेजों
ने
की
थी।
तब
पुलिस
कमिश्नर
प्रणाली
भारत
के
कोलकाता
(कलकत्ता),
मुंबई
(बॉम्बे)
और
चेन्नई
(मद्रास)
में
हुआ
करती
थी।
तब
इन
शहरों
को
प्रेसीडेंसी
सिटी
कहा
जाता
था।
बाद
में
उन्हें
महानगरों
रूप
में
जाना
जाने
लगा।