गंगा में प्रदूषण पर NGT सख्त, यूपी सरकार पर लगाया 10 करोड़ रुपए का जुर्माना
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लखनऊ। गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने सख्त रुख आपनाया है। एनजीटी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही कानपुर देहात के रनिया और नगर के राखी मंडी इलाके में गंगा में जहरीले क्रोमियम युक्त सीवेज गिरने से रोकने में नाकाम रहने पर एनजीटी ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है। वहीं, प्रदूषण फैलाने वाली 22 टेनरियों पर 280 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार गंगा में जहरीले पदार्थ गिरने से रोकने में नाकाम रही है। इसके चलते 1976 से अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका। वहीं, यहां का भूजल दूषित हुआ और आसपास के निवासियों की सेहत के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है।
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को दोषी टेनरियों से जुर्माना राशि वसूलनी चाहिए। जब तक इस रकम की वसूली नहीं होती तब तक सरकार खुद यह रकम ईएससीआरओडब्ल्यू के खाते में हस्तांतरित करे। इसका इस्तेमाल इलाके में पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के सुधार में किया जाएगा। राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह दोषी टेनरियों या दोषी अधिकारियों से जुर्माना वसूले।
राज्य
सरकार
भी
दोषी,
10
करोड़
जुर्माना
एनजीटी
ने
कहा,
आठ
अगस्त
के
आदेश
के
बावजूद
गंगा
में
सीधे
क्रोमियम
युक्त
अनट्रीटेड
सीवेज
डालने
की
अनुमति
देने
से
पर्यावरण
को
हुए
नुकसान
के
लिए
राज्य
सरकार
को
10
करोड़
रुपए
क्षतिपूर्ति
देनी
होगी।
सरकार
यह
रकम
दोषी
अधिकारियों
से
वसूले
और
उनके
खिलाफ
उचित
कार्रवाई
भी
करे।