PICS: पैरों से चाय पीती महिला को देख हैरान रह जायेंगे
लखनऊ। वो कहते हैं ना कि जिनके हौसलों में उड़ान होती है उन्हें पंख की जरूरत नहीं होती है। इस कहावत को चरितार्थ किया है उत्तर प्रदेश की राजधानी में रहने वाली कामिनी श्रीवास्तव ने।
कामिनी श्रीवास्तव के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन इस विकलांगता को उन्होने कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। कामिनी ने अपने दोनों पैरों को ही अपना हाथ बना लिया। उन्होंने जीवन की हर उस सफलता को अपने नाम किया जिसे एक सामान्य व्यक्ति अपने नाम कर सकता है।
कामिनी के दोनों हाथ महज चार वर्ष की आय़ु में एक रेल हादसे के दौरान कट गये थे। लेकिन दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद कामिनी ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और इस समय वह बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर तैनात हैं। कामिनी सफलतापूर्वक अपने परिवार को चलाती हैं और अपने परिवार को बखूबी चलाती हैं।
बचपन में ही खो दिये दोनो हाथ
महज चार वर्ष की आयु में कामिनी के दोनों हाथ कट गये।
विकलांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया
कामिनी ने विकलांगता को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।
पनी सफलता के लिए मिले हैं कई सम्मान
कामिनी को समय-समय पर कई विशिष्ट जनों ने सम्मानित किया है।
पैरों से ही करती हैं सारे काम
कामिनी के दोनों पैर ही अब उनके हाथ हैं।
पैरों से ही चलाती हैं लैपटॉप
कामिनी अपने पैरो से बखूबी लैपटॉप चलाती हैं।
पैरों से ही पीती हैं चाय
कामिनी की जीवन चर्या में हाथों का नहीं होना अब कोई कमजोरी नहीं है।
लिखने में नहीं होती है कोई दिक्कत
कामिनी अपने पैरों से बखूबी लिख सकती हैं।
एक सफल परिवार को चलाती हैं
कामिनी की विकलांगता कभी भी उनके जीवन में बाधा नहीं बनी।