Ayodhya Verdict पर बोले मौलाना कल्बे सादिक, अयोध्या काबा नहीं, कहीं और बने मस्जिद
लखनऊ। देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक अयोध्या भूमि विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को देने के अलावा मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। फैसले के बाद वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और इस्लामिक स्कालर मौलाना डॉ. कल्बे सादिक अपनी प्रतिक्रियां दी है।
अयोध्या नहीं है काबा: डॉ. कल्बे सादिक
डॉ. कल्बे सादिक ने कहा, अयोध्या काबा नहीं है बल्कि वह हिन्दुओं का सबसे महत्वपूर्ण पवित्र धार्मिक स्थल है। इसलिए अयोध्या के बजाए मुसलमान कहीं और मस्जिद बनाएं।' उन्होंने यह बातें प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा से मुलाकात के दौरान कहीं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मोहसिन रजा मौलाना कल्बे सादिक से शिष्टाचार भेंट करने गये थे। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी को स्वागत करना चाहिए और अब इस फैसले पर आगे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
हिंदुओं को सौंप दे विवादित स्थल
उन्होंने मुसलमानों और हिन्दुओं दोनों से अपील करते हुए कहा कि अब मंदिर-मस्जिद की बातें छोड़िए और देश की बेहतरी के बारे में बात करिये। देश को आगे बढ़ाइये। देश में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। अशिक्षा है, गरीबी है। इन समस्याओं को दूर करने की जरूरत है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले उन्होंने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि वे अयोध्या के विवादित स्थल की जमीन हिन्दुओं को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दें।
रामलला विराजमान को मिला मालिकाना हक
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने का फैसला सुनाया। बता दें कि रामलला ना तो कोई संस्था हैं और ना ही कोई ट्रस्ट, यहां बात स्वयं भगवान राम के बाल स्वरुप की हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को लीगल इन्टिटी मानते हुए जमीन का मालिकाना हक उनको दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता है।
बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बनी थी- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद को खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था, खुदाई में जो ढांचा पाया गया वह गैर-इस्लामिक था। बाबरी मस्जिद खाली स्थान पर नहीं बनी थी और खुदाई में निकला ढांचा गैर-इस्लामिक था। सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित स्थल पर 1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं हैं। हिंदू इससे पहले अंदरूनी हिस्से में भी पूजा करते थे। हिंदू बाहर सदियों से पूजा करते रहे हैं।