देवेंद्र फडणवीस की तरह ही यूपी के इस मुख्यमंत्री को भी देना पड़ा था इस्तीफा, 24 घंटा ही रह सके थे सीएम
लखनऊ। पांच साल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस का दूसरा कार्यकाल चार दिन भी नहीं चला। मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर फैसला सुनाया। दोपहर में अजित पवार और फिर देवेंद्र फडणवीस ने भी इस्तीफे का ऐलान कर दिया। इस घटना ने उत्तर प्रदेश में हुए उस सियासी उथल-पुथल की याद ताजा कर दी, जब रातों-रात कल्याण सिंह सत्ता से बेदखल हो गए थे और जगदंबिका पाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और महज 24 घंटे ही मुख्यमंत्री रह सके थे।
24 घंटे मुख्यमंत्री रह सके थे जगदंबिका पाल
साल 1998, तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करते हुए जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी थी। बीजेपी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, जिसमें कल्याण सिंह को 225 मत हासिल हुए थे और जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले थे।
दोबारा मुख्यमंत्री बने कल्याण सिंह
इस मामले में तत्कालीन स्पीकर केसरी नाथ त्रिपाठी ने 12 सदस्यों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार देने पर उनकी भूमिका की भी काफी आलोचना हुई थी। हालांकि जब 12 सदस्यों ने कल्याण सिंह के समर्थन में वोट किया और उनके वोटो को अंत में उन्हें घटाया गया तब भी कल्याण सिंह के पास सदन में पूर्ण बहुमत था। इससे पहले कल्याण सिंह के बहुमत परीक्षण के ऑफर को राज्यपाल ने पहले खारिज कर दिया था। हालांकि वह दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बने।
कल्याण सरकार में ही मंत्री थे जगदंबिका पाल
जगदंबिका पाल उस वक्त कल्याण सिंह सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे। उन्होंने विरोधियों के संग मिलकर तख्ता पलट कर दिया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस समर्थित यूनाइटेड फ्रंट की सरकार थी और इंद्र कुमार गुजराल देश के प्रधानमंत्री थे।