वेलेंटाइन वीक नहीं लखनऊ में नवाबी इश्क का खुमार रहता है पूरे साल
लखनऊ। फरवरी माह यानि प्यार के खुमार का महीना, जी हां युवाओं के लिए यह महीना काफी खास होता है। सोशल मीडिया से लेकर बाजारों में इस खुमार की अजीब सी खुशबूं देखने को मिलने लगती है। प्यार की तस्दीक करने वाले इस महीने का यूं तो लोग पूरे साल इंतजार करते हैं कि वह अपने प्यार का इजहार खास अंदाज में करेंगे। लेकिन हम आपको लखनऊ यानि अदब के शहर से रूबरू करायेंगे जहां यह खुमार कभी खत्म नहीं होता है।
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लखनऊ अपने अदब, तहजीब, सलीके और खास अंदाज के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। कहते हैं कि यहां लोग बेइज्जती भी अदब से करते हैं तो फिर प्यार की हदों का आप अंदाजा ही लगा सकते हैं। तो इस फरवरी से शुरू होने वाले इस प्यार के खुमार का परिचय हम आपको लखनवी अंदाज और अदब के साथ करायेंगे क्योंकि लखनऊ को प्यार के खुमार के महीने का इंतजार नहीं है, बल्कि यहां की फिजाओं में हमेशा ही प्यार की खुशबूं आती है।
लखनऊ का चिकन
लखनवी चिकनकारी दुनियाभर में मशहूर है, यहां के चिकन का दीदार करने वालों को पहली नजर में इससे प्यार हो जाता है। लखनऊ की दस्तकारी का जादू ही कुछ ऐसा है जिसे कोई भी पहनकर अपनी शानो-शौकत में चार चांद लगा सकता है।
मुगलई जायका
कहते हैं जिसने लखनऊ का जायका नहीं लिया उसने असल व्यंजन कभी नहीं चखा, फिर चाहे वो विश्व प्रसिद्ध टुंडे के कबाब हो, दस्तरख्वान का चिकन मसाला, इदरीस की बिरयानी, बाजपेयी की कचौड़ी या फिर गंज की कटोरी चाट। यहां के स्वाद से हर किसी को ताउम्र प्यार हो जाता है।
शाम-ए-अवध
शाम-ए-अवध और सुबह-ए-बनारस दुनियाभर में मशहूर है। लखनऊ की शाम का अपना अलग ही अंदाज है, हजरतगंज की रौनक, चौक की तंग गलियां, और शाम को ढलता सूरज आपको लखनऊ से हमेशा के लिए दीवाना बना सकता है।
इतिहास के झरोंके से झांकता नवाबी शहर
लखनऊ अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है, फिर चाहे वह 1857 की पहली चिंगारी हो या बेहग हजरत महल की बहादुरी हो, लखनऊ की ऐतिहासिक इमारते और यहां की धरोहर आपको अपने पूर्वजों के लिए हमेशा के लिए प्यार भर देगी।
तहजीब और अदब
तहजीब और अदब का जिक्र जब भी कहीं हुआ है तो लखनऊ उसके लिए हमेशा याद किया गया है। कहते हैं कि यहां लोग झड़प भी थोड़ा अदब के साथ करते हैं, अरे जनाब जरा देख कर चलिए।