जानिए कौन था पुलिस एनकाउंटर में मारा गया हनुमान पांडेय, इंजीनियर बनने का सपना संजोए आया था लखनऊ
लखनऊ। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी गिरोह का शॉर्प शूटर राकेश उर्फ हनुमान पांडेय को यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया। राकेश उर्फ हनुमान पांडेय पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। बता दें कि एनकाउंटर में मारे गए इनामी बदमाश हनुमानपांडेय का काफी लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। उसके खिलाफ लखनऊ सहित गाजीपुर, प्रयागराज, मऊ, रायबरेली में 10 मुकदमे गंभीर धाराओं में पंजीकृत हैं। हनुमान पांडेय इंजीनियर बनने का सपना संजोए लखनऊ आया था, लेकिन 16 साल की उम्र में अपने सहपाठी की हत्या कर क्राइम दुनिया में अपना पहला कदम रखा था।
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सहपाठी की हत्या कर आया था बदमाशों के संपर्क में
बात साल 1993 की है। जब राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय ने इंजीनियरिंग करने के लिए लखनऊ में पॉलीटेक्निक करने के बाद गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया था। लेकिन पहले ही साल उसका हॉस्टल में कुछ लड़कों से विवाद हो गया था। विवाद के दौरान राकेश ने एक लड़के को उठाकर पटक दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। फिर जेल में बदमाशों के संपर्क में आने के बाद उसे कॉन्ट्रैक्ट किलिंग शुरू की थी। हत्या का दूसरा मामला 2000 में रायबरेली के नगर कोतवाली में दर्ज हुआ था। इसके बाद राकेश पांडेय मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया था।
कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद अंसारी गैंग का बना था खास
29 नवंबर 2005 में हनुमान पांडेय ने गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद रायय की हत्या कर दी थी। एके-47 से लैस आधा दर्जन बदमाशों ने विधायक के काफिले को घेरकर करीब 400 राउंड से भी अधिक गोलियां बरसाई थीं। इसमें भाजपा विधायक कृष्णानंद सहित सात लोगों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था। पोस्टमॉर्टम में राय के शरीर में 21 गोलियां पाई गई थीं। इसके बाद से राकेश सिर्फ मुख्तार अंसारी के लिए काम करने लगा और पूर्वांचल के ठेकेदारी में शामिल हो गया।
ठेकेदार हत्याकांड में भी बरी हो गया
मऊ जिले के ठेकेदार मन्ना सिंह व इनके साथी राजेश राय की 29 अगस्त, 2009 को कोतवाली शहर के नरई बांध के पास यूनियन बैंक के पास बाइक सवार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले में हरेंद्र सिंह की तहरीर पर पुलिस ने मुख्तार सहित 11 लोगों पर केस दर्ज किया था। आठ साल तक चली सुनवाई के दौरान 22 गवाहों में से 17 गवाह पेश किए गए। साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने राकेश पांडेय समेत 9 लोगों को बरी कर दिया था।
एक महीने पहले राकेश व पत्नी का शस्त्र हुआ था जब्त
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 जुलाई को मऊ में एक जांच में सामने आया था कि राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय की पत्नी सरोजलता पांडेय ने तथ्यों को छुपाकर डीबीबीएल गन का लाइसेंस 2005 में ले लिया था। उसने अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपने पति राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पाण्डेय के विरुद्ध दर्ज अभियोगों को छुपाया था। इस संबंध में अभियुक्त सरोजलता पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही शस्त्र जब्त कर निरस्तीकरण के लिए रिपोर्ट भेजी गई थी।