क्या यूपी को तीन टुकड़ों में बांटने वाली है सरकार? जानिए इस वायरल मैसेज का सच
लखनऊ। सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है। इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश तीन राज्यों में बंटेगा। साथ ही उत्तर प्रदेश और हरियाणा को तोड़कर उसके कई जिलों को दिल्ली में मिलाते हुए उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। यूपी के कुछ जिले हरियाणा और उत्तराखंड का हिस्सा हो जाएंगे और बचे हुए जिलों के साथ यूपी को तीन राज्यों में बांट दिया जाएगा।
सरकारी कॉपी हो रही है वायरल
सोशल मीडिया पर राज्यों के पुनर्गठन के कथित प्रस्ताव की 'सरकारी कॉपी' तेजी से वायरल हो रही है। इसमें उत्तर प्रदेश जिसकी राजधानी लखनऊ होगी। इसमें 20 जिले होंगे। यूपी के बंटवारे के बाद दूसरा राज्य बनेगा बुंदेलखंड, जिसकी राजधानी प्रयागराज होगी। इसमें 17 जिले शामिल होंगे। तीसरा राज्य होगा पूर्वांचल, जिसमें 23 जिले होंगे और इसकी राजधानी होगी गोरखपुर। वहीं, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, बुलंदशहर और हरियाणा से सोनीपत, रोहतक, झज्जर, गुड़गांव, रेवाड़ी, नूह, पलवल, फरीदाबाद को दिल्ली में शामिल करते हुए इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।
गूगल पर सर्च कर रहे लोग
सोशल मीडिया फेसबुक, वॉट्सऐप और ट्विटर पर वायरल हो रह इस मैसेज के बाद लोग अब इसकी हकीकत जाने में जुट गए है। वहीं, कुछ लोगों के बीच इस मैसेज असमंजस की स्थिति बन गई है। इसको लेकर लोग सवाल भी कर रहे हैं। गूगल पर भी इस सवाल को जवाब ऑनलाइन सर्च किया जा रहा है।
लेकिन सच क्या है?
वायरल मेसेज पर सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की है। एनबीटी की खबर के मुताबिक, सरकारी फाइलों में कहीं इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। होम मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि भी की। केंद्र सरकार के एक सीनियर मोस्ट मंत्री ने ‘एनबीटी' से बातचीत में कहा कि अभी तक किसी भी कैबिनेट मीटिंग में भी अनौपचारिक तौर पर भी इस मु्द्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। केंद्र सरकार जब तीन तलाक, जम्मू-कश्मीर के बाद राम मंदिर जैसे मु्द्दे पर आगे बढ़ती दिख रही है, उसमें यह कवायद अभी गैरजरूरी है। अगर भविष्य में कभी यह पाया गया कि देशहित में ऐसा जरूरी है तो सोचा जाएगा लेकिन जिस प्रारूप में 4 राज्यों के पुनर्गठन की बात हो रही है, ऐसा अभी कुछ भी नहीं है।
क्या होती है राज्य पुनर्गठन की प्रक्रिया?
अगर राज्य खुद पुनर्गठन चाहते हैं, उन्हें विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराना होता है। इस पर केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती है। फिर मंत्रिसमूह जो सिफारिश करता है, उसे राष्ट्रपति को भेजा जाता है। वहां से उसे संबंधित राज्य की विधानसभा की राय जानने के लिए भेजा जाता है। विधानसभा की जो राय आती है, उसे शामिल करते हुए राज्य पुनर्गठन विधेयक को अंतिम रूप दिया जाता है। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है। उनकी मंजूरी के बाद नए राज्य गठित हो जाते हैं।
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