विकास दुबे एनकाउंटर: लखनऊ बेंच ने न्यायिक जांच की मांग याचिका को ठुकराया
लखनऊ। उज्जैन से यूपी पुलिस की गाड़ी में लाते समय रास्ते में विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की न्यायिक जांच की मांग को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ठुकरा दिया है। नंदिता ठाकुर की तरफ से यह याचिका दायर की गई थी जिसमें उन्होंने मांग की थी कि विकास दुबे एनकाउंटर की सिटिंग जज या रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच कराई जाय।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने यह दलील दी कि इस कांड की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में आयोग का गठन कर दिया गया है। सरकार ने यह भी कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी भी बनाई गई है। जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस करुणेश पवार की बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि अभी एसआईटी और आयोग कानपुर मामले की जांच कर रही है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपकी मांगें सरकार मान चुकी है। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
भी
15
जुलाई
को
होगी
सुनवाई
विकास
दुबे
एनकाउंटर
की
न्यायिक
जांच
के
लिए
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
भी
जनहित
याचिका
दाखिल
की
गई
है
जिस
पर
15
जुलाई
को
सुनवाई
होनी
है।
इसमें
याचिकाकर्ता
प्रभा
शंकर
ने
यह
मांग
की
है
कि
मामले
की
न्यायिक
जांच
जज
से
कराई
जाय,
इसकी
कोर्ट
की
तरफ
मॉनिटरिंग
हो
और
जो
बेकसूर
हैं
उनको
सुरक्षा
दी
जाय
व
प्रताड़ना
से
उनको
बचाया
जाय।
इस
जनहित
याचिका
को
चीफ
जस्टिस
गोविंद
माथुर
ने
स्वीकार
करते
हुए
सुनवाई
के
लिए
15
जुलाई
का
दिन
तय
किया
है।
मामले
में
जांच
कर
रहे
रिटायर्ड
जज
योगी
आदित्यनाथ
सरकार
ने
विकास
दुबे
मुठभेड़
कांड
की
जांच
के
लिए
रिटायर्ड
जज
शशिकांत
अग्रवाल
की
अध्यक्षता
में
एकल
सदस्यीय
आयोग
का
गठन
किया
है।
सोमवार
को
रिटायर्ड
जज
शशिकांत
अग्रवाल
ने
बिकरू
गांव
पहुंचकर
इस
मामले
की
जांच
शुरू
कर
दी
है।
वहीं
कानपुर
के
बिकरू
गांव
में
हुई
8
पुलिसकर्मियों
की
हत्या
की
घटना
की
जांच
के
लिए
योगी
सरकार
ने
एसआईटी
का
गठन
किया
है।
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