IPS अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर दर्ज हुई FIR, जानिए पूरा मामला
लखनऊ। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे आईपीएस अफसर डॉ. अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दोनों अफसरों के खिलाफ विजिलेंस मेरठ सेक्टर में एंटी करप्शन एक्ट के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है। बता दें कि 14 सितंबर को डायरेक्टर विजिलेंस के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने दोनों अफसरों के खिलाफ जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। जांच रिपोर्ट में दोनों अधिकारी दोषी पाए गए थे, जिन पर अब एफआईआर दर्ज की गई है।
वहीं, कथित पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला का नाम भी एफआईआर में शामिल है। इन सभी पर सरकारी अधिकारी को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित करने का आरोप है। सभी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 8 और 12 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। जानकारों के अनुसार, एफआईआर दर्ज होने के बाद दोनों ही आईपीएस अधिकारियों के निलंबन को लेकर जल्द ही फैसला हो सकता है। बता दें डायरेक्टर विजिलेंस के निर्देशन में तैयार रिपोर्ट में दोनों आईपीएस के खिलाफ लगे तमाम आरोपों में से कई सही पाए गये थे। शासन से नियमों के मुताबिक, अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की संस्तुति की गयी थी।
क्या
है
पूरा
मामला?
दरअसल,
गौतमबुद्धनगर
के
एसएसपी
रहे
वैभव
कृष्ण
का
एक
आपत्तिजनक
वीडियो
वायरल
हुआ
था,
जिसके
बाद
उन्हें
पद
से
हटा
दिया
गया
था।
इस
मामले
में
वैभव
कृष्ण
ने
डीजीपी
को
पत्र
लिख
पांच
आईपीएस
अधिकारियों
अजय
पाल
शर्मा,
सुधीर
कुमार
सिंह,
राजीव
नारायण
मिश्रा,
गणेश
साहा
और
हिमांशु
कुमार
पर
भ्रष्टाचार
के
गंभीर
आरोप
लगाए
थे।
उन्होंने
इस
पत्र
में
अजय
पाल
और
हिंमाशु
कुमार
के
विरुद्ध
ट्रांसफर-पोस्टिंग
के
नाम
पर
धन
उगाही
का
भी
आरोप
लगाया
था।
शुरुआती
जांच
में
सुधीर
कुमार
सिंह,
राजीव
नारायण
और
गणेश
साहा
के
खिलाफ
आरोप
साबित
नहीं
हो
सके
थे।
वहीं,
अजय
पाल
और
हिमांशु
कुमार
के
खिलाफ
पर्याप्त
सुबूत
पाए
गए
थे,
जिसके
आधार
पर
विजिलेंस
जांच
की
सिफारिश
की
गई
थी।
अजय
पाल
और
हिमांशु
की
कई
बेनामी
संपत्तियों
की
जानकारी
हासिल!
जनवरी
में
भ्रष्टाचार
का
मामला
उजागर
होने
के
बाद
इन
सभी
पांचों
आईपीएस
अफसरों
को
उनके
पदों
से
हटा
दिया
गया
था।
इतना
ही
नहीं,
योगी
सरकार
ने
आरोपों
की
जांच
के
लिए
डायरेक्टर
विजिलेंस
के
नेतृत्व
में
एसआईटी
का
गठन
किया
था।
एसआईटी
ने
14
सितंबर
को
अपनी
जांच
पूरी
कर
ली
है
और
रिपोर्ट
शासन
को
भेज
दी
थी।
सूत्रों
के
मुताबिक,
जांच
के
दौरान
एसआईटी
को
अजय
पाल
शर्मा
और
हिमांशु
की
कई
बेनामी
संपत्तियों
के
बारे
में
भी
जानकारी
मिली
थी।
तत्कालीन
डीजीपी
की
वजह
से
जांच
में
देरी!
शासन
को
भेजी
गई
रिपोर्ट
में
कहा
गया
कि
दो
बार
लेटर
लिखने
के
बाद
भी
जांच
से
जुड़ी
पेन
ड्राइवर
देने
में
देर
की
गई।
एसआईटी
ने
10
जनवरी
और
13
जनवरी
2020
को
तत्कालीन
डीजीपी
को
लेटर
लिखे,
इसके
बाद
पेन
ड्राइव
दी
गई।
आरोप
है
कि
यह
पेन
ड्राइवर
भी
ओरिजिनल
नहीं
है।
एसआईटी
को
पेन
ड्राइव
की
कॉपी
दी
गई।