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डॉक्टर डी के छाबड़ा: ब्रेन में जमा फ्लूड को निकालने के लिए खोजा सस्ता इलाज, कई बच्चों को नई जिंदगी देने वाले ने कहा दुनिया को अलविदा

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लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में पीजीआई की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाने वाले डॉक्टर डी के छाबड़ा का मंगलवार को निधन हो गया। लखनऊ पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग की शुरुआत करने के बाद उन्होंने यहां ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के इलाज की उम्दा व्यवस्था की। न्यूरो सर्जन डॉक्टर डी के छाबड़ा ने ब्रेन से जुड़ी बीमारी हाइड्रोसेफलस के उपचार के लिए एक ऐसे शंट का आविष्कार किया जिससे दुनियाभर में कई बच्चों और मरीजों को नई जिंदगी मिली है। उनके इस आविष्कार का उपयोग दुनिया मे कई देशों के डॉक्टर कर रहे हैं। 80 साल की उम्र में उनके निधन पर डॉक्टरों ने शोक जताया है और इसे मेडिकल साइंस के लिए बड़ी क्षति बताया है।

हाइड्रोसेफलस के इलाज के लिए बनाया शंट

हाइड्रोसेफलस के इलाज के लिए बनाया शंट

हाइड्रोसेफलस बीमारी में मरीज के ब्रेन में फ्लूड भर जाता है। नवजात में यह बीमारी ज्यादा होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस बीमारी होने की दर कम होती चली जाती है। ब्रेन में मौजूद फ्लूड से सूजन हो जाती है। फ्लूड निकालने के लिए डॉक्टर डी के छाबड़ा ने एक शंट का आविष्कार किया। इसके जरिए उन्होंने स्पाइन के जरिए ब्रेन के फ्लूड को निकालने के तरीके को खोजा। उनके बनाए इस शंट का प्रयोग दुनियाभर के डॉक्टर कर रहे हैं। छाबड़ा शंट से इलाज पर खर्च भी कम आता है। डॉक्टर छाबड़ा लगातार रिसर्च करते रहे और उनके 300 से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं। डॉक्टर छाबड़ा ने न्यूरो संबंधित बीमारियों के उपचार के क्षेत्र में बड़ा योगदान किया। उनके रिसर्च को मेडिकल साइंस के छात्रों को पढ़ाया जाता है।

लखनऊ पीजीआई में उनका योगदान

लखनऊ पीजीआई में उनका योगदान

डॉक्टर छाबड़ा ने केजीएमयू लखनऊ से एमबीबीएस की पढ़ाई की। यहीं से एमएस करने के बाद वे केजीएमयू में ही न्यूरो सर्जन बने। केजीएमयू में उन्होंने 1974 से 1986 तक अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद वे लखनऊ पीजीआई गए जहां वे 1986 से 2003 तक रहे। पीजीआई में न्यूरो सर्जरी विभाग को उन्होंने ही स्थापित किया और उच्च कोटि के इलाज की व्यवस्था की। पीजीआई संस्थान की नींव रखने और इसके विकास में डॉक्टर छाबड़ा ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। रिटायरमेंट के बाद वे विवेकानंदर अस्पताल से जुड़कर सेवा दे रहे थे। पीजीआई डायरेक्टर आरके धीमान समेत संस्थान के अन्य डॉक्टरों ने डॉक्टर छाबड़ा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

पीजीआई में हुआ डॉक्टर छाबड़ा का निधन

पीजीआई में हुआ डॉक्टर छाबड़ा का निधन

डॉक्टर छाबड़ा का निधन पीजीआई में मंगलवार की सुबह को हुआ। देश में न्यूरो सर्जरी के विकास में डॉक्टर छाबड़ा जिंदगीभर लगे रहे। प्रोफेसर एसएस अग्रवाल, प्रोफेसर बी बी सेठी के साथ मिलकर डॉक्टर डी के छाबड़ा ने पीजीआई की नींव रखी थी। डॉक्टर अग्रवाल और डॉक्टर सेठी का निधन पहले हो चुका है। डॉक्टर छाबड़ा पीजीआई संस्थान की स्थापना से जुड़े तीसरे पिलर थे जो अब दुनिया में नहीं हैं। उनसे सीखे हुए छात्र देश-विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनकी खोजी हुई तकनीक से दुनियाभर में हाइड्रोसेफलस जैसी बीमारी के इलाज में मदद मिलती रहेगी।

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How Mumbai Coming Back To New Normal Amidst Corona Virus
English summary
Doctor D K Chhabra who invented low cost shunt to treat Hydrocephalus no more
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