हाथरस मामले में सीएम योगी ने किया SIT का गठन, फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाने के निर्देश
लखनऊ। 19 वर्षीय दलित युवती के साथ दरिंदगी और फिर पुलिसवालों की अमानवीयता से पूरे देश में आक्रोश है। तो वहीं, इस कांड के बाद विपक्ष के निशाने पर आई योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी की यह टीम सात दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी। बता दें कि एसआईटी में दलित और महिला अधिकारी भी शामिल हैं। गृह सचिव भगवान स्वरूप, डीआईजी चंद्र प्रकाश और सेनानायक पीएसी आगरा पूनम एसआईटी के सदस्य होंगे। सीएम योगी ने पूरे मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में लाने के निर्देश भी दिए है। बता दें इस मामले में चारों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेज दिया है।
Recommended Video
सीएम
ने
अख्तियार
किया
सख्त
रुख
यूपी
के
हाथरस
में
दलित
युवती
के
साथ
निर्भया
जैसी
हैवानियत
पर
सियासत
गरमा
गई
है।
सोशल
मीडिया
पर
लोगों
का
आक्रोश
झलक
रहा
है।
इतना
ही
नहीं,
दिल्ली
के
जिस
सफदरजंग
अस्पताल
में
पीड़िता
ने
29
सिंतबर
को
आखिरी
सांस
ली
और
उसके
बाद
अस्पताला
के
बाहर
प्रदर्शन
हुआ,
कैंडल
मार्च
निकला।
यूपी
में
राष्ट्रपति
शासन
लगाने
की
मांग
हो
रही
है।
तो
वहीं,
सीएम
ने
पूरे
घटनाक्रम
पर
सख्त
रुख
अख्तियार
करते
हुए
एसआईटी
टीम
को
घटना
की
तह
तक
जाने
के
निर्देश
दिए
हैं।
उन्होंने
समयबद्ध
ढंग
से
जांच
पूरी
कर
रिपोर्ट
देने
के
निर्देश
भी
दिए
हैं।
साथ
ही
सीएम
ने
उनके
खिलाफ
फ़ास्ट
ट्रैक
कोर्ट
में
मुक़दमा
चलाकर
जल्द
से
जल्द
सजा
दिलाने
का
भी
आदेश
दिया।
'योगी
आदित्यनाथ
इस्तीफा
दो'
वहीं,
दूसरी
और
उत्तर
प्रदेश
प्रभारी
व
कांग्रेस
महासचिव
प्रियंका
गांधी
ने
योगी
आदित्यनाथ
से
इस्तीफा
मांगा
है।
प्रियंका
गांधी
ने
अपने
ट्वीट
में
लिखा
है,
'रात
को
2.30
बजे
परिजन
गिड़गिड़ाते
रहे
लेकिन
हाथरस
की
पीड़िता
के
शरीर
को
उत्तर
प्रदेश
प्रशासन
ने
जबरन
जला
दिया।
जब
वह
जीवित
थी
तब
सरकार
ने
उसे
सुरक्षा
नहीं
दी।
जब
उस
पर
हमला
हुआ
सरकार
ने
समय
पर
इलाज
नहीं
दिया।
पीड़िता
की
मृत्यु
के
बाद
सरकार
ने
परिजनों
से
बेटी
के
अंतिम
संस्कार
का
अधिकार
छीना
और
मृतका
को
सम्मान
तक
नहीं
दिया।
घोर
अमानवीयता।
आपने
अपराध
रोका
नहीं
बल्कि
अपराधियों
की
तरह
व्यवहार
किया।
अत्याचार
रोका
नहीं,
एक
मासूम
बच्ची
और
उसके
परिवार
पर
दुगना
अत्याचार
किया।
योगी
आदित्यनाथ
इस्तीफा
दो।
आपके
शासन
में
न्याय
नहीं,
सिर्फ
अन्याय
का
बोलबाला
है।'