मिशन चंद्रयान-2 पर बोलीं मायावती, ISRO की उपलब्धि गर्व करने लायक
लखनऊ। चांद की सतह पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान 'चंद्रयान-2' के लैंडर 'विक्रम' का संपर्क टूट गया। ये संपर्क तब टूटी जब 'लैंडर विक्रम' चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था। अब इस मामले पर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि चांद पर कदम रखने के लिए चन्द्रयान-2 मिशन ने समस्त भारतीय जनमानस को रोमांचित किया है। इस सम्बंध में भारतीय वैज्ञानिकों खासकर 'इसरो' के वैज्ञानिकों ने अबतक जो भी सफलता प्राप्त की है वह गर्व करने लायक है व उसकी सराहना की जानी चाहिए।
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मायावती ने किया ट्वीट
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायवती चंद्रयान-2 ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'चाँद पर कदम रखने के लिए चन्द्रयान-2 मिशन ने समस्त भारतीय जनमानस को रोमांचित किया है। इस सम्बंध में भारतीय वैज्ञानिकों खासकर 'इसरो' के वैज्ञानिकों ने अबतक जो भी सफलता प्राप्त की है वह गर्व करने लायक है व उसकी सराहना की जानी चाहिए।' वहीं, अपने दूसरे ट्वीट में इसरो के वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई की है। उन्होंने लिखा कि 'साथ ही, आगे बढ़ते रहने के लिए यह जरूरी है कि निराशा, हताशा व दुःखी कतई न हों और यह भी याद रहे कि 'गिरते हैं शहसवार मैदान-ए-जंग में, वह तिफ्ल (बच्चा) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले'। वैज्ञनिकों को देशहित में काम करते रहने के लिए उनके हौंसले बढ़ाते रहने की जरूरत है।'
केवल 5 फीसदी का हुआ है नुकसान- इसरो के अधिकारी
दरअसल, लैंडर विक्रम अपने निर्धारित पथ से अलग हो गया था और उसके बाद संपर्क टूट गया। कई विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इस मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता है, लैंडर से पुन: स्थापित हो सकता है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने नाम जाहिर ना करने की शर्त पर बताया, 'मिशन का केवल 5 फीसदी- लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ही नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत -चंद्रयान-2 ऑर्बिटर- अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।
पीएम मोदी ने बढ़ाया इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे हजारों वर्षों का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जब शुरुआती रुकावटों के बावजूद हमने ऐतिहासिक सिद्धियां हासिल की हैं। खुद ISRO भी कभी न हार मानने वाली संस्कृति का जीता-जागता उदाहरण है। पीएम मोदी ने कहा कि अगर अपनी शुरुआती चुनौतियों, दिक्कतों से हम हार जाते तो आज इसरो दुनिया की अग्रणी स्पेस एजेंसियों में से एक भी स्थान नहीं ले पाता। परिणाम अपनी जगह हैं, लेकिन मुझे और पूरे देश को अपने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों आप सभी के प्रयासों पर गर्व है।
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