मायावती काल में हुए चीनी मिल घोटाले की जांच शुरू, सीबीआई ने दर्ज किया मुकदमा
Lucknow news, लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की 14 चीनी मिलों की बिक्री में घोटाले की सीबीआई जांच से खरीददारों में हड़कंप मचा हुआ है। जांच से खरीददारों के साथ बिक्री प्रक्रिया से जुड़े घूसखोर अफसरों की भी नींद हराम हो गई है। सीबीआई ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को आधार बनाया है।
7 बंद चीनी मिलों के मामले में सीबीआई ने नियमित मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू की हैं। जांच के दायरे में वेव इंडस्ट्रीज, इंडियन पोटाश,गिरासो कंपनी, एसआर बिल्डकॉन,नीलगिरी फूड्स कंपनी आए हैं। त्रिकाल फूड एंड एग्रो प्रोडक्टस और नम्रता मार्केटिंग की भी जांच जारी है। सीबीआई को कुल 21 चीनी मिलों की बिक्री की जांच सौंपी गई हैं। 21 मिलों को 2010 और 2011 में निजी कंपनियों को सस्ते में बेचा गया था। लखनऊ के गोमती नगर थाने में 9 नवंबर 2017 में पहली FIR दर्ज हुई थी।
वर्ष 2009 में चीनी मिलों के विनिवेश के लिए मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। प्रदेश में सरकारी, प्राइवेट और कोआपरेटिव 3 तरह की चीनी मिलें एक्टिव हैं। 2009 में चीनी निगम की 35, चीनी फेडरेशन की 28 और 93 प्राइवेट चीनी मिलें थी। घाटे को आधार बनाकर चीनी निगम की मिलों को बेचने का फैसला किया गया था। कैग रिपोर्ट में खरीद-फरोख्त की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। बीएसपी के बाद सत्ता में आई अखिलेश सरकार ने लोकायुक्त को जांच सौंपी थी। जांच में लोकायुक्त ने खरीद-फरोख्त में भारी अनियमितता पकड़ी थी।
जांच में खुलासा हुआ कि 21 चीनी मिलों की बिक्री में खरीदारों को स्टाम्प ड्यूटी में फायदा पहुंचाया गया। खरीददारों को करीब 1179 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया था। इस घोटाले में CBI ने 7 लोगों पर खरीद-फरोख्त में धांधली को लेकर मुकदमा दर्ज किया है।
CBI ने 420, 408, 477A, 471 और धारा 629A कंपनी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें दिल्ली के राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, गाजियाबाद के धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर के सौरभ मुकुंद, सहारनपुर के मो.जावेद, मो. नदीम अहमद, मो. वाजिद शामिल हैं।
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