वसीम रिजवी के खिलाफ CBI ने दर्ज की दो एफआईआर, धोखाधड़ी का है आरोप
लखनऊ। यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा कथित अवैध बिक्री-खरीद और वक्फ संपत्तियों के हस्तांतरण के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुरू कर दी है। जांच शुरू करने के साथ ही सीबीआई ने इस मामले में यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की हैं। ये एफआईआर लखनऊ-प्रयागराज में हुए वक्फ घोटालों के मामलों में दर्ज की गई है। तो वहीं, लखनऊ में हुए घोटाले में वक्फ बोर्ड के दो अन्य अफसरों समेत कुल पांच लोग नामजद किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने इन दोनों मामलों की जांच सीबीआई से जांच कराने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की थी।
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वक्फ की संपत्ति बेचने को लेकर 2016 में प्रयागराज कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी ने इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण शुरू कराया था। तो वहीं, 7 मई 2016 को क्षेत्रीय अवर अभियंता ने निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण पर रोक लगा दी थी। लेकिन निर्माण फिर भी जारी रहा। जिसे रोकने के लिए कई पत्र लिखे गए। इस पर अवर अभियंता सुधाकर मिश्रा ने रिजवी को नामजद करते हुए 26 अगस्त 2016 को एफआईआर दर्ज कराई थी।
वहीं, दूसरी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज में कानपुर स्थित वक्फ की संपत्ति को ट्रांसफर करने पर मामला दर्ज की गई थी। वसीम रिजवी के खिलाफ दर्ज इन दोनों एफआईआर को आधार बनाते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी ने एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने आईपीसी की धारा 409, 420 व 506 के तहत दर्ज की गई एफआईआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी, शिया वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदन रिजवी व वक्फ इंस्पेक्टर वाकर रजा के अलावा नरेश कृष्ण सोमानी व विजय कृष्ण सोमानी को नामजद किया है। प्रयागराज में हुए वक्फ घोटाले के संबंध में दर्ज एफआईआर में अकेले वसीम रिजवी ही नामजद हैं।