Atlas Cycle: प्रियंका और मायावती ने योगी सरकार पर कसा तंज, कही यह बात
लखनऊ। कोरोना वायरस संकट के बीच देश की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी एटलस की फैक्ट्री बंद हो गई है। एटलस कंपनी के बंद होने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर तंस कसा है। प्रियंका गांधी ने कहा कि फैक्ट्री बंद होने से एक हजार लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए। वहीं, बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी योगी सरकार पर निशाना साधा है।
प्रियंका गांधी ने कही यह बात
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गुरुवार को ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'विश्व साइकल दिवस के मौके पर साइकिल कंपनी एटलस की गाजियाबाद फैक्ट्री बंद हो गई। 1000 से ज्यादा लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए। सरकार के प्रचार में तो सुन लिया कि इतने का पैकेज, इतने MoU, इतने रोजगार। लेकिन असल में तो रोजगार खत्म हो रहे हैं, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं। उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा कि लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार को अपनी नीतियां और योजना स्पष्ट करनी पड़ेगी।'
मायावती ने भी किया ट्वीट
बसपा प्रमुख मायावती ने भी एटल साइकिल कंपनी बंद होने के बाद ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'ऐसे समय जबकि लॉकडाउन के कारण बन्द पड़े उद्योगों को खोलने के लिए आर्थिक पैकेज आदि सरकारी मदद देने की बात की जा रही है जबकि यूपी के गाजियाबाद स्थित एटलस जैसी प्रमुख साइकिल फैक्ट्री के धन अभाव में बन्द होने की खबर चिन्ताओं को बढ़ाने वाली है। सरकार तुरन्त ध्यान दे तो बेहतर है।'
अनिश्चिकाल के लिए बंद की फैक्ट्री
दरअसल, विश्व साइकिल दिवस (3 मई) पर देश की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी एटलस ने साहिबाबाद में साइट-4 स्थित अपनी फैक्ट्री अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी। फैक्ट्री के बंद होने के बारे में मजदूरों को पता भी नहीं था। रोज की तरह जब कर्मचारी बुधवार सुबह काम पर आए तो फैक्ट्री के गेट पर मैनेजमेंट की ओर से लगा नोटिस पढ़कर उनके होश उड़ गए। अचानक फैक्ट्री बंद होने से यहां काम करने वाले कर्मचारियों के आगे अब परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है।
कंपनी ने नोटिस में कही यह बात
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कंपनी के मैनेजमेंट ने नोटिस में लिखा, 'कंपनी के पास रोजमर्रा के सामान खरीदने तक के भी पैसे नहीं हैं। इसलिए सभी को ले ऑफ किया जाता है।' नोटिस में यह भी लिखा था कि जब तक कि धन नहीं जुटा लेते तब तक कच्चा माल खरीदने में भी असमर्थ हैं। ऐसे में हम फैक्ट्री चलाने की स्थिति में नहीं हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे 2 जून तक यहां काम पर आए, लेकिन तब कोई दिक्कत नहीं थी और न कुछ बताया गया। 3 जून को नोटिस देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
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