लखनऊ पोस्टर विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी योगी सरकार को राहत, 10 अप्रैल तक की मोहलत
प्रयागराज। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ में हुई हिंसा के दौरान सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के पोस्टर हटाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी की योगी सरकार को 10 अप्रैल तक मोहलत दी है। बता दें, यूपी सरकार की ओर से सोमवार को अर्जी दाखिल कर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपील का हवाला देकर अतिरिक्त समय मांगा गया था। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और राकेश सिन्हा कर रहे हैं।
क्या है पोस्टर विवाद
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। इस दौरान सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। यूपी सरकार ने उपद्रवियों के पोस्टर्स और बैनर सार्वजनिक रूप से शहर में लगवा दिए। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 मार्च को स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में 8 मार्च को सुनवाई पूरी कर जजमेंट रिजर्व कर लिया था। इसके बाद अगले दिन 9 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए लखनऊ के डीएम और पुलिस कमिश्नर को पोस्टर हटाए जाने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने माना था निजता के अधिकार का उल्लंधन
कोर्ट ने आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने की कार्रवाई को अनावश्यक और निजता के अधिकार का उल्लंघन माना था। कोर्ट ने साथ ही डीएम को आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट भी 16 मार्च को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने का आदेश दिया था। इस बीच हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मामले को बड़ी पीठ के लिए रेफर कर दिया। पोस्टर हटाने की समय-सीमा ख़त्म होने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने का हवाला देकर और वक्त मांगा था।
कोर्ट से 10 अप्रैल तक की मोहलत
राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि इस मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। लिहाजा सरकार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और अधिक वक्त चाहिए। हाईकोर्ट ने सरकार को 10 अप्रैल तक का समय दिया है। इस मोहलत को एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यूपी सरकार पर अवमानना की कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा था।
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