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अख‍िलेश यादव ने पान पर खर्च किये साढ़े चार हजार करोड़

By Ians Hindi
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ललितपुर। पान खाने का चलन यों तो सदियों पुराना है, लेकिन वैज्ञानिक ढंग से इसकी खेती की कभी जरूरत नहीं समझी गई। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अख‍िलेश यादव ने इस जरूरत को समझा, इसीलिये पान को बढ़ावा देने का फैसला किया है। पहली बार उत्तर प्रदेश सरकार ने पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विकास योजना के तहत साढ़े चार करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया है। इससे पान की खेती परवान चढ़ेगी।

यह सच्चाई है कि पान काश्तकार हमेशा से सरकारी सुविधाओं से महरूम रहे हैं। पान के बरेजों को खड़ा करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने वाले किसान पान को भी खेती का दर्जा दिए जाने की मांग करते आए हैं, लेकिन सरकारी संरक्षण के अभाव में ललितपुर में कभी हजारों की संख्या में पान की खेती करने वाले किसानों की संख्या गिनती की रह गई है।

प्रदेश सरकार द्वारा पान उत्पादन वाले प्रदेश के आठ जिलों ललितपुर, महोबा, जौनपुर, उन्नाव, इलाहाबाद, रायबरेली और आजमगढ़ के लिए 4 करोड़ 57 लाख रुपये जारी किए जाने के बाद अब किसानों को लग रहा है कि पान की खेती बेहतर ढंग से हो पाएगी, आमदनी बढ़ेगी तो उनकी जिंदगी भी पहले से बेहतर हो जाएगी।

ललितपुर जनपद में इस योजना के तहत 100 किसानों के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसके तहत कम से कम 1500 वर्ग फुट जमीन वाले पान काश्तकारों को प्रति बरेजे के निर्माण के लिए 75 हजार 800 रुपये दिए जाएंगे। यह राशि ई-पेमेंट के जरिए सीधे किसानों के खाते में जाएगी।

काश्तकारों की मांग

काश्तकारों की मांग

छोटे पान काश्तकारों की हालांकि मांग है कि योजना का दायरा बढ़ाकर उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए, जिससे वह भी इसका लाभ ले सकें। अकेले पाली में ही ज्यादातर किसान ऐसे हैं जिनके पास 1500 वर्ग फुट की जमीन ही नहीं है।

बनी कई योजनाएं

बनी कई योजनाएं

एक पान काश्तकार रामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि उनके जैसे पान काश्तकारों को भी योजना का लाभ मिलना चाहिए। पाली नगर पंचायत के अध्यक्ष विनोद चौरसिया भी छोटे पान काश्तकारों की मांगों का समर्थन करते हुए जिला प्रशासन से इस दिशा में कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

प्राचीन काल से खेती

प्राचीन काल से खेती

भारत में प्राचीन काल से ही पान की खेती होती रही है। हर युग में पान का महत्व रहा है। आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों का वर्णन है।

पान का स्वाद

पान का स्वाद

बेजोर स्वाद और मुंह में रखते ही घुल जाने के कारण पाली का पान सरहद पार तक मशहूर है, फिर भी इस विश्व प्रसिद्ध खेती के लिए न तो कोई भी बीमा योजना है, न ही आपदा कोष, जिसके कारण पान काश्तकारों के
लिए यह घाटे का सौदा बनती जा रही है।

दुलर्भ तरीके

दुलर्भ तरीके

काफी दुर्लभ तरीके से घासफूस के झोपड़ों को तैयार कर उनके भीतर की जाने वाली पान की खेती को जिला उद्यान अधिकारी उमेश कुमार भी बेहद कठिन मानते हैं। उन्होंने अब उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार के फैसले से पान की खेती को नया जीवन मिलेगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
Uttar Pradesh chief minister Akhilesh Yadav has decided to promote the cultivation of betel leaves which commonly called as paan.
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