अखिलेश यादव ने विकास पदयात्रा को दिखाई हरी झंडी, भाजपा को इन मुद्दों पर जमकर कोसा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की कमल संदेश यात्रा के बाद अब प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी चार दिवसीय विकास पदयात्रा शुरू किया है। इस पदयात्रा को शनिवार के दिन अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर अखिलेश भाजपा और सीएम योगी पर खासे हमलावर दिखे। मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि कुछ काम बताएं तो ज्यादा अच्छा होगा, सीएम हमारे भगवान की जाति बता देते तो हमें उनसे अपना रिश्ता जोड़ने में आसानी होती।
अखिलेश यादव ने मीडिया से बात कर भाजपा पर किया हमला
समाजवादी पार्टी की ये विकास पदयात्रा अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए किए गए कामों को जनता तक पहुंचाएगी। साथ ही भाजपा के द्वारा की जा रही वादाखिलाफी के प्रति भी लोगों को अवगत कराएगी। इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब जानकारी नहीं होती है तो दूसरे लोग भी लाभ ले लेते हैं। इस सरकार ने सिर्फ नाम बदलने का काम किया है। शुरुआत में बीजेपी के लोग सिर्फ रंग पोत रहे थे, फिर अब नाम बदलना शुरू कर दिया। एक्सप्रेस वे हमारी सरकार ने शुरू किया उसका उद्घाटन इन्होंने किया। स्टेडियम हमारी सरकार में बना था, मेट्रो योजना हमने शुरू किया था, इस सरकार ने कैंसर इंस्टिट्यूट का काम भी रोक दिया, ये इंस्टिट्यूट शुरू हो जाता तो लखनऊ में लोगों को इलाज मिल जाता। इसे भी सपा ने शुरू किया था लेकिन भाजपा सरकार द्वारा उसे रोक दिया गया।
भाजपा के जनप्रतिनिधियों को होती है पिटाई
इस दौरान बोलते हुए अखिलेश ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी मौजूदा सरकार को जमकर कोसा। पूर्व मुख्यमंत्री ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस गौ तस्करी नहीं रोक पा रही है। बुलन्दशहर में 2 लोग इस हिंसा में मारे गए हैं। पुलिस और एक नौजवान की लेनदेन का भी वहां झगड़ा था। इस दौरान अखिलेश ने बीजेपी की कमल संदेश यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि हमारी पदयात्रा काम की है, सच्चाई की है, बीजेपी की धोखे की थी। भाजपा की कमल संदेश रैली को कहीं लोगों नें घुसने नहीं दिया तो कही जनप्रतिनिधि की पिटाई हो गई।
2019 का है ये प्लान
दरअसल इस विकास पदयात्रा के माध्यम से सपा लोगों के बीच दोबारा अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है ताकि 2019 में बीजेपी को पटकनी दी जा सके। वैसे भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हार के बाद से विपक्षी दलों को एक नई उम्मीद जगी है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि सपा की ये पदयात्रा 2019 के पहले लोगों को कितना जोड़ पाती है।