अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पर्यावरण के नियमों की अनदेखी का खतरा
लखनऊ। गोमती रिवर फ्रंट को लखनऊ में अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जा रहा है जहां गोमती किनारे की खूबसूरती को बढ़ाने का काम तेजी से चल रहा है। लेकिन यह सौंदर्यीकरण अब नये विवादों के घेरे में है। दरअसल पर्यावरवविद इस सौंदर्यीकरण को पर्यावरण के खिलाफ बता रहे हैं।
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गोमती नदी के किनारों पर जो निर्माण कार्य चल रहा है उसके लिए नदी के प्रवाह को रोकने के लिए दोनों तरफ कंक्रीट की दीवार को खड़ा किया गया है जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों के खिलाफ बताया जा रहा है। पर्यावरणविदों का मानना है कि सौंदर्यीकरण के चक्कर में गोमती नदी की इकोलॉजी से छेड़छाड़ की जा रही है।
इससे ना सिर्फ गोमती में जीवों पर असर पड़ेगा बल्कि भूजल पर भी खासा असर देखने को मिलेगा। जानकारों का मानना है कि इस कंक्रीट की दीवार से भूजल के स्रोतों पर खासा असर पड़ेगा और इसका असर लखनऊ में रहने वाले लोगों पर सीधे तौर पर पड़ेगा। गौरतलब है कि गत वर्ष एनजीटी ने उत्तराखंड में गंगा के दोनों किनारों पर 200 मीटर के दायरे में किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी।
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हाईकोर्ट ने 2001 में गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर पाबंदी लगायी थी और कोर्ट ने रिपोर्ट भी तलब की थी कि जिस तरह के भी निर्माण इस दौरान हुए हैं उसकी जानकारी मुहैया करायी जाए। आपको बता दें कि गोमती रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण में 2800 करोड़ रुपए का खर्च आयेगा जबकि मौजूदा समय में इसके लिए 650 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं।