अजय पाल शर्मा IPS: 100 एनकाउंटर करने वाले रियल लाइफ 'सिंघम' ऐसे बने हीरो से 'जीरो'
लखनऊ। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट, सिंघम और दबंग जैसे नामों से फेमस रहे अजय पाल शर्मा इन दिनों मुश्किलों में फंस गए हैं। आईपीएस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। अब उनका निलंबन भी किया जा सकता है। अजय पाल शर्मा के नाम 100 से ज्यादा एनकाउंटर दर्ज हैं। योगी सरकार में अजय पाल के एनकाउंटरों की तारीफ हुई। जून 2019 में रामपुर में तैनाती के दौरान अजय पाल शर्मा ने एक छह साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के आरोपी को एनकाउंटर में गिरफ्तार किया था। इस एनकाउंटर के लिए अजय पाल की खूब तारीफ हुई। इसके बाद लोग उन्हें 'सिंघम' कहकर बुलाने लगे। अजय पाल शर्मा रामपुर के एसपी पद पर तैनात रहते हुए आजम खान पर कार्रवाई के लिए भी सुर्खियों में रहे। आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ कि ये 'हीरो' अब 'जीरो' बन चुका है।
अजय पाल शर्मा के नाम दर्ज हैं 100 से ज्यादा एनकाउंटर
अजय
पाल
शर्मा
मूल
रूप
से
पंजाब
के
लुधियाना
के
रहने
वाले
हैं।
वह
यूपी
काडर
के
2011
बैच
के
आईपीएस
अफसर
हैं।
आईपीएस
बनने
के
बाद
उनकी
पहली
पोस्टिंग
सहारनपुर
हुई।
इसके
बाद
उन्हें
मथुरा
भेज
दिया
गया।
अजय
पाल
शर्मा
ने
यूपी
में
एक
के
बाद
एक
कई
एनकाउंटर
किए,
जिसके
बाद
उन्हें
एनकाउंटर
स्पेशलिस्ट
कहा
जाने
लगा।
रामपुर
में
छह
साल
की
बच्ची
से
रेप
के
बाद
हत्या
की
वारदात
को
अंजाम
दिया
गया
था।
अजय
पाल
शर्मा
ने
जून
2019
में
इस
मामले
के
आरोपी
नाजिल
को
एनकाउंटर
में
गिरफ्तार
किया
था।
एनकाउंटर
में
नाजिल
को
तीन
गोलियां
लगी
थीं।
इसके
बाद
अजय
पाल
शर्मा
'सिंघम'
जैसे
नामों
से
पहचाने
जाने
लगे।
यूं विवादों में फंसते गए अजय पाल शर्मा
गौतमबुद्धनगर के एसएसपी रहे वैभव कृष्ण का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था। यह वीडियो वायरल होने के बाद वैभव कृष्ण को उनके पद से हटा दिया गया था। इस मामले में वैभव कृष्ण ने डीजीपी को पत्र लिख पांच आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण मिश्रा, गणेश साहा और हिमांशु कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने इस पत्र में अजय पाल और हिंमाशु कुमार के विरुद्ध ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर धन उगाही का भी आरोप लगाया था। शुरुआती जांच में सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण और गणेश साहा के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके थे। वहीं, अजय पाल और हिमांशु कुमार के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पाए गए थे, जिसके आधार पर विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई। इसी साल जनवरी में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद इन सभी पांचों आईपीएस अफसरों को उनके पदों से हटा दिया गया। योगी सरकार ने आरोपों की जांच के लिए डायरेक्टर विजिलेंस के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया।
महिला ने लगाए थे संगीन आरोप
मार्च 2020 में अजय पाल शर्मा के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी। गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहने वाली दीप्ति शर्मा ने खुद को अजय पाल की पत्नी बताते हुए दावा किया कि अजय पाल वर्ष 2016 में गाजियाबाद में एसपी सिटी के पद पर तैनात थे। महिला ने दावा किया कि इस दौरान उसकी शादी अजय पाल से हुई थी। शादी गाजियाबाद में रजिस्टर्ड भी हुई थी। दीप्ति का कहना है कि अजय पाल से उनके रिश्ते कुछ बातों को लेकर खराब हो गए थे। इस संबंध में उन्होंने महिला आयोग, पुलिस विभाग, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में शिकायत भी की थी। विशेष सचिव गृह अनिल कुमार सिंह के निर्देश पर हजरतगंज पुलिस ने आईपीएस अजय पाल के खिलाफ गबन, आपराधिक साजिश और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की। महिला द्वारा दर्ज कराए गए रिपोर्ट में अन्य पुलिसकर्मियों को भी आरोपी बनाया गया है। इस मामले की भी जांच चल रही है।
विजिलेंस को मिले भ्रष्टाचार के सबूत, एफआईआर दर्ज
इधर, भ्रष्टाचार मामले में एसआईटी ने 14 सितंबर को अपनी जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन को भेज दी। रिपोर्ट में दोनों अधिकारियों अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं, जिसके बाद दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, कथित पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला का नाम भी एफआईआर में शामिल है। इन सभी पर सरकारी अधिकारी को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित करने का आरोप है। सभी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 8 और 12 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद दोनों ही आईपीएस अधिकारियों के निलंबन को लेकर जल्द ही फैसला हो सकता है।
IPS अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर दर्ज हुई FIR, जानिए पूरा मामला