कृषि विधेयक 2020: CM योगी ने कहा- नए युग का आरंभ, अखिलेश बोले- शोषणकारी विधेयक
लखनऊ। किसानों से जुड़े बिल के लोकसभा में पारित होने को लेकर हंगामा जारी है। विधेयक के विरोध में किसान सड़क पर उतरने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार फिलहाल इस मामले में झुकने को तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां इस विधेयक का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे शोषणकारी विधेयक बताते हुए कहा कि किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन जाएंगे। वहीं, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि यह कृषि संशोधन विधेयक किसानों की बर्बादी की गारंटी है।
सीएम योगी ने कहा- नए युग का आरंभ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ''कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 का लोकसभा में पास होना एक नए युग का आरंभ है। यह विधेयक किसान बहनों-भाइयों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित करेगा। इस लोक कल्याणकारी प्रयास हेतु आदरणीय पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार।'' अपने अगले ट्वीट में सीएम योगी ने कहा, ''कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 कृषि उपज के कुशल, पारदर्शी और बाधारहित अंतर-राज्य और राज्य के भीतर व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देगा। इससे किसानों और व्यापारियों को बिक्री और खरीद हेतु पसंद की स्वतंत्रता प्राप्त होगी।''
अपनी ही ज़मीन पर मजदूर बन जाएंगे किसान: अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ''भाजपा सरकार खेती को अमीरों के हाथों गिरवी रखने के लिए शोषणकारी विधेयक लाई है। ये खेतों की मेड़ तोड़ने का षड्यंत्र है और साथ ही एमएसपी सुनिश्चित करनेवाली मंडियों के धीरे-धीरे खात्मे का भी। भविष्य में किसानों की उपज का उचित दाम भी छिन जाएगा और वो अपनी ही ज़मीन पर मजदूर बन जाएंगे।''
किसानों की बर्बादी की गारंटी है कृषि संशोधन विधेयक: लल्लू
अजय कुमार लल्लू ने ट्वीट किया, ''एक तो किसानों की आत्महत्या जारी है, ऊपर से यह कृषि संशोधन विधेयक किसानों की बर्बादी की गारंटी है। सरकार की इस विधेयक के बहाने पूंजीवादी व्यवस्था लाने की काली चाल है। सरकार MSP व्यवस्था को खत्म करने को कानूनी व्यवस्था करना चाहती है। हम किसानों के साथ है, लड़ाई आखिरी दम तक लड़ेंगे।''
क्यों कर रहे हैं किसान विरोध?
किसान संगठनों का आरोप है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को ही होगा। अब बाजार में एक बार फिर से पूंजीपतियों का बोलबाला होगा और आम किसान के हाथ में कुछ नहीं आएगा और वो पूंजीपतियों के लिए केवल दया का पात्र रह जाएगा। ये विधेयक बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देने वाला है। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल पर किसानों को सबसे ज्यादा आपत्ति है। किसानों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली का प्रावधान खत्म हो जाएजा, जो कि किसानों के लिए सही नहीं है।
आखिर क्या है कृषि संबंधी विधेयक, क्यों मचा है इस पर बवाल?