LoK Sabha Elections Result 2019: लालू जेल से बाहर होते तो राजद को नहीं मिलता जीरो?
पटना। रांची के जेल अस्पताल में लालू यादव बेहद उदास हैं। लोकसभा चुनाव में राजद की शर्मानक हार से उन्हें बहुत सदमा पहुंचा है। चारा घोटाला में सजायाफ्ता होने के बाद लालू बेबस हो गये हैं। रिम्स के पेईंग वार्ड को अस्थायी जेल का दर्जा दिया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। इलाज करने वाले चिकित्सकों का कहना है कि लालू यादव पिछले कुछ दिनों से ठीक से खाना नहीं खा रहे हैं। इसकी वजह से समय पर दवा देने में दिक्कत हो रही है। ड़क्टर लालू यादव को सामान्य दिनचर्या के लिए समझा रहे हैं ताकि उनकी सेहत ठीक रह सके।
उदास हैं लालू
रिम्स के डॉक्टरों के मुताबिक 23 मई की सुबह 8 बजे से ही लालू यादव टेलीविजन खोल कर बैठ गये थे। जैसे-जैसे जैसे रुझान आते गये उनके चेहरे का भाव बदलता गया। दोपहर एक बजे तक जब चुनाव परिणाम एकदम स्पष्ट हो गये तो वे उदास और गुमसुम हो गये। फिर टेलीविजन बंद कर दिया और सो गये। बिहार में राजद के सफाये से उन्हें बहुत दुख पहुंचा है। डॉक्टरों का कहना है कि लालू यादव तनाव की वजह से रात में पूरी नींद सो नहीं पा रहे हैं। वे सुबह में किसी तरह नास्ता तो करते हैं लेकिन दोपहर में कुछ नहीं खा रहे। इसके बाद वे फिर रात में ही खाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इससे इंसुलिन देने में दिक्कत हो रही है।
शिखर से शून्य पर आने से असहज
लालू यादव 1996 के दौर में प्रधानमंत्री बनाते थे और हटाते थे। एच डी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री हो कर भी लालू यादव के साथ अदब से पेश आते थे। बिहार और देश की राजनीति तब उनके इशारे पर चलती थी। अपनी इसी शान को कायम रखने के लिए लालू ने जनता दल के दिग्गजों को दरकिनार कर 1997 में राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नया दल बनाया था। अपने दम पर राजद को एक शक्तिशाली दल बनाया। 1998 के लोकसभा चुनाव में लालू 43 ( संयुक्त बिहार में 54 सीटें थीं) सीटों पर लड़े और 17 पर जीत हासिल की। लालू की हनक कायम रही। 1999 में वाजपेयी लहर में लालू को झटका लगा और वे 17 से 7 पर फिसल गये। लेकिन 2004 में लालू ने फिर जोरदार वापसी की और लोकसभा की 24 सीटें जीत कर तहलका मचा दिया। लेकिन इसके बाद लालू के दिन गिरने लगे। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में लालू को 4-4 सीटें मिली थीं। लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ था कि राजद खाता खुलने के लिए भी तरस जाए। 2019 में लालू जेल में थे इस लिए राजद को ये बुरा दिन भी देखना पड़ा। लालू ने जिस पौधे को सींच कर बरगद बनाया आज उसके अचानक उखड़ जाने से हताशा है।
क्या लालू के जेल में रहने से हुई ये हार ?
राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का कहना है कि अगर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव जेल से बाहर रहते तो राजद की इतनी करारी हार न होती। लालू यादव के प्रभाव की बराबरी कोई दूसरा नेता नहीं कर सकता। लालू जनता के दिलों पर राज करते हैं। अगर वे चुनाव प्रचार के समय साथ होते तो चुनाव परिणाम कुछ और होता। लालू होते तो महागठबंधन में किचकिच भी नहीं होती। तेजस्वी यादव का मामला भी इतना तूल न पकड़ता। लालू यादव की गैरमौजूदगी से बहुत फर्क पड़ गया।