गांव में घुसा मगरमच्छ तो ग्रामीणों ने पकड़ा, फिर वन विभाग से छोड़ने के एवज में मांगे 50 हजार
लखीमपुर खीरी। क्या कभी आपने सुना है कि मगरमच्छ को पकड़ने और उसे छोड़ने के एवज में कभी रुपए मांगे गए हो। नहीं ना, लेकिन जो वाकया आज हम को बताने जा रहे है उसमें ग्रामीणों ने मगरमच्छ को छोड़ने के एवज में वन विभाग से 50 हजार रुपए की मांगी की। हालांकि, बाद में पुलिस गांव में पहुंची और ग्रामीणों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने मगरमच्छ को नहीं छोड़ा तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद गांव के लोगों ने मुआवजे की मांग को विराम दे दिया। बता दें कि यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले के मिदानिया गांव का है।
क्या
है
मामला
दुधवा
टाइगर
रिजर्व
के
सामने
स्थिति
मिदानिया
गांव
के
तालाब
में
मंगलवार
दोपहर
एक
मगरमच्छ
तैरता
दिखाई
दिया।
खतरा
देख
ग्रामीणों
ने
वन
विभाग
के
अधिकारियों
को
मामले
की
जानकारी
दी।
रिजर्व
बफर
एरिया
के
डेप्युटी
डायरेक्टर
अनिल
पटेल
ने
बताया
कि
सूचना
मिलने
के
बाद
वन
विभाग
ने
एक
टीम
को
मगरमच्छ
का
रेस्क्यू
करने
के
लिए
गांव
में
भेजा।
लेकिन
अंधेरा
हो
जाने
की
वजह
से
टीम
ने
उस
दिन
काम
शुरू
नहीं
किया
और
मगरमच्छ
के
रेस्क्यू
की
योजना
बुधवार
सुबह
तक
टाल
दी।
टीम
बनाकर
ग्रामीणों
ने
मगरमच्छ
को
पकड़ा
इसके
बाद
बुधवार
को
सुबह
गांव
से
एक
और
फोन
आया,
जिसमें
बताया
गया
कि
वन
विभाग
के
कर्मियों
का
इंतजार
करते
वे
थक
गए
थे,
इसलिए
उन
लोगों
ने
खुद
ही
मगरमच्छ
का
रेस्क्यू
करने
का
फैसला
कर
लिया।
वन
विभाग
की
टीम
अनिल
शाह
के
नेतृत्व
में
जब
गांव
पहुंची
तो
उन्हें
ग्रामीणों
के
आक्रोश
का
सामना
करना
पड़ा।
ग्रामीणों
ने
तालाब
का
पानी
खाली
करा
मगरमच्छ
को
एक
रस्सी
से
बांध
रखा
था।
गांव
वालों
ने
बताया
कि
इस
काम
के
लिए
उन्होंने
15
लोगों
की
एक
टीम
बनाई
थी।
ग्रामीणों
ने
मांगे
50
हजार
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक,
जब
वनकर्मी
उसे
ले
जाने
लगे
तो
ग्रामीणों
ने
पकड़वाने
के
बदले
50
हजार
रुपए
मांगे।
गांव
के
प्रधान
शर्मा
प्रसाद
ने
कहा
कि
उन्होंने
मगरमच्छ
को
पकड़ने
में
अपनी
जान
जोखिम
में
डाली
है।
ऐसे
में
उन्हें
इसका
मुआवजा
मिलना
चाहिए।
घंटो
बहस
के
बाद
भी
ग्रामीण
नहीं
माने
तो
पुलिस
गांव
में
पहुंची।
पुलिस
ने
ग्रामीणों
को
चेतावनी
दी
कि
अगर
उन्होंने
मगरमच्छ
को
नहीं
छोड़ा
तो
उनके
खिलाफ
कानूनी
कार्रवाई
की
जाएगी।
इसके
बाद
गांव
के
लोगों
ने
मुआवजे
की
मांग
को
विराम
दे
दिया।
मगरमच्छ
को
घाघरा
नदी
में
छोड़
पटेल
ने
बताया
कि
मामले
को
रिकॉर्ड
किया
गया
है
लेकिन
ग्राम
प्रधान
के
निवेदन
पर
गांव
वालों
के
खिलाफ
कोई
ऐक्शन
नहीं
लिया
जाएगा।
उन्होंने
बताया
कि
मगरमच्छ
को
ग्रामीणों
के
कब्जे
से
लेने
के
बाद
उसे
घाघरा
नदी
में
छोड़
दिया
गया।