कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट निर्माण का मायावती ने किया था शुभारंभ, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
कुशीनगर। कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को रोकने वाली अंतिम बाधा भी दूर हो गई है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जल्द पूरा करने का बिल पास किया गया है जिससे इस एयरपोर्ट को जल्द पूरा होने की उम्मीद बढ़ गई है। एटीसी बिल्डिंग का काम पूरा होते ही कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है। कुशीनगर से सीधी उड़ान सेवा शुरू होने पर यहां पर्यटन के साथ रोजगार में तेजी की संभावना जताई जा रही है। पर्यटन विभाग का मानना है कि पर्यटकों की संख्या में तीन से चार गुना की वृद्धि होगी।
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तीन
गुना
बढ़
जाएंगे
पर्यटक
भगवान
बुद्ध
की
महापरिनिर्वाण
स्थली
होने
के
कारण
बुद्ध
धर्म
के
अनुयायियों
में
कुशीनगर
का
खास
महत्व
है।
भगवान
बुद्ध
के
अनुयायी
अपने
जीवन
काल
में
एक
बार
जरुर
कुशीनगर
आना
चाहते
हैं।
भगवान
बुद्ध
की
लेटी
हुई
प्रतिमा
और
भग्नावशेष
को
देखने
के
बाद
हर
बौद्ध
धर्म
को
मानने
वाला
अपना
जीवन
धन्य
समझता
है।
बता
दें
कि
कुशीनगर
ना
तो
रेल
मार्ग
से
जुड़ा
है
और
ना
ही
हवाई
मार्ग
से
इसलिए
विदेशों
से
आने
वाले
अधिकांस
लोग
या
तो
वाराणसी
से
आते
हैं
या
फिर
बोध
गया
से
कुशीनगर
आते
हैं
जिससे
उनका
समय
और
पैसा
दोनों
बर्बाद
होता
है।
इतना
ही
नहीं,
सरकारी
रोडवेज
बस
से
आने
वाले
विदेशी
यहां
रूकते
भी
नहीं
है
वे
भगवान
बुद्ध
के
दर्शन
करने
के
बाद
वापस
लौट
जाते
हैं
जिससे
उनके
आने
का
लाभ
स्थानीय
स्तर
पर
नहीं
मिल
पाता।
कहां-कहां
से
आते
है
लोग
भगवान
बुद्ध
की
महापरिनिर्वाण
स्थली
में
प्रमुख
रूप
से
श्रीलंका,
वर्मा,
नेपाल,
चीन,
जापान,
वियतनाम,
कोरिया,
थाईलैंड,
ताईवान,
इंडोनेशिया,
सिंगापुर
आदि
देशों
के
पर्यटक
आते
हैं।
इसके
अलावा
अमेरिका
व
रूस
के
भी
सैलानी
आते
हैं।
विदेशी
पर्यटकों
के
अलावा
काफी
तादाद
में
बिहार,
पश्चिम
बंगाल,
महाराष्ट्र,
कर्नाटक,
मध्य
प्रदेश,
हिमाचल
प्रदेश,
अरुणाचल
प्रदेश,
आसाम
और
त्रिपुरा
के
सैलानी
भी
आते
हैं।
अभी
केवल
सड़क
मार्ग
से
जुड़े
कुशीनगर
में
आने
के
लिए
विदेशी
पर्यटकों
को
दिल्ली,
मुंबई,
कोलकाता,
चेन्नई
आदि
बड़े
शहरों
से
होकर
आना
पड़ता
है।
बौद्ध
पर्यटक
वाराणसी
को
केंद्र
बनाकर
भारत
भ्रमण
करते
हैं।
अंतरराष्ट्रीय
एयरपोर्ट
चालू
हो
जाने
के
बाद
अब
कुशीनगर
ही
केंद्र
बनेगा।
मायावती
ने
की
थी
शुरूआत
कुशीनगर
में
पर्यटन
की
संभावनाओं
को
देखते
हुए
तत्कालीन
मुख्यमंत्री
मायावती
ने
सितंबर
1995
को
अंग्रेजी
हुकूमत
में
बने
हवाई
पट्टी
को
विकसित
करके
इंटरनेशनल
एयरपोर्ट
बनाने
की
शुरूआत
की
थी।
इसके
बाद
10,
अक्टूबर
1995
को
ही
कांग्रेस
सरकार
के
केंद्रिय
विमानन
मंत्री
गुलाम
नबी
आजाद
और
यूपी
के
राज्यपाल
मोती
लाल
बोरा
ने
टर्मिनल
बिल्डिंग
का
शिलान्यास
किया
था।
इसके
बाद
कई
बार
जमीन
अधिग्रहण
में
पेंच
फंसा
जिसे
बाद
में
सुलझाया
गया।
इस
एयरपोर्ट
के
निर्माण
में
केन्द्र
और
प्रदेश
सरकार
के
बीच
राजनीति
होती
रही,
जिससे
आधा
बन
चुके
एयरपोर्ट
इन
23
सालों
में
बदहाल
हो
गया
था।
पिछली
सरकारों
ने
बाउन्ड्री
वाल
और
रन-वे
के
लिए
80
करोड़
रूपया
जारी
किया
जिसके
बाद
बाउन्ड्री
वाल
बनकर
तैयार
हुई।
इसके
बाद
प्रदेश
में
सत्तासीन
हुई
भाजपा
सरकार
ने
एटीसी
बिल्डिंग
के
साथ
बाकी
बचे
5
एकड़
जमीन
को
भी
अधिग्रहित
करने
के
लिए
युद्ध
स्तर
पर
काम
शुरू
किया।
जिसका
असर
भी
आज
देखने
को
मिला।
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