Kota Flood: चबंल नदी में बहे मां-बेटा, 18 किमी दूर मिला बेटे का शव, मां का तीसरे दिन भी सुराग नहीं
कोटा। राजस्थान के कोटा जिले में चंबल नदी उफान पर है। चंबल में बहे मां-बेटे में से तीसरे दिन बेटे का शव मिल गया है, जो घटनास्थल से करीब 18 किलोमीटर दूर मिला है। मां का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। कोटा से सवाई माधोपुर तक में उसकी तलाश की जा रही है। बेटे का शव बूंदी जिले के केशवरायपाटन में मिला है।
जयपुर जाना था पत्नी व बेटे को
जानकारी के अनुसार कोटा के कुन्हाड़ी थानाक्षेत्र के कमला उद्यान निवासी राकेश माखीजा गुरुवार सुबह पत्नी साक्षी (26) व बेटे रेयांस (7) को बाइक से नयापुरा बस स्टैण्ड छोड़ने जा रहा था। वहां पर राकेश के ससुराल पक्ष के लोग जयपुर जाने के लिए मां-बेटे का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान ससुराल पक्ष के लोगों ने राकेश से जल्दी पहुंचने के लिए फोन किया।
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बाइक फिसलने से तीनों बहे
इस पर राकेश ने छोटी पुलिया से जाने का निर्णय लिया। जब वह पुलिया के बीच पहुंचा, तो कोटा बैराज के गेट खुलने से आए पानी के तेज बहाव में वह हड़बड़ा गया और उसकी बाइक फिसलकर गिर गई। वह संभल पाता, उसकी पत्नी व बेटा तेज बहाव में बह गए। आसपास के लोगों ने राकेश को बचाया। घटना की जानकारी लगने पर पुलिस ने नगर निगम की रेस्क्यू टीम को बुलाकर मां-बेटे की तलाश शुरू की।
अचानक आया पानी और वे बह गए
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि गुरुवार सुबह राकेश छोटी पुलिया के बीच में थे, यहां सबसे पहले पानी पहुंचा। पानी के तेज बहाव का थपेड़ा लगने से उनकी बाइक फिसल गई और संभलने से पहले ही मां-बेटे बह गए। बता दें कि कोटा बैराज से छोड़े जा रहे पानी के कारण नदी में काफी तेज बहाव है। ऐसे में निगम की टीम को तलाशी अभियान में परेशानी हो रही है। कुन्हाड़ी थानाधिकारी गंगासहाय शर्मा ने बताया कि मां-बेटे की तलाश के लिए कोटा के अलावा, केशोरायापाटन, इन्द्रगढ़, सवाईमाधोपुर तक तलाश की जा रही है। कुन्हाड़ी पुलिस ने मां-बेटे की गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।
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छोटी पुलिया पर यातायात को रोका जाना चाहिए
परिजन का आरोप है कि बैराज के गेट खोलने से पहले चंबल की छोटी पुलिया पर यातायात को रोका जाना चाहिए था, लेकिन वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। इतना ही नहीं, सुरक्षा चेतावनी तक की व्यवस्था नहीं थी। पुलिया पर पुलिसकर्मी या होमगार्ड का जवान भी तैनात नहीं था और न ही कोई बेरिकेट्स ही थे। पुलिया पर बरसात में बचाव के लिए दोनों और लगाई जाने वाली रस्सियां भी नहीं थी।
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