कोरोना संकट: कोटा में फंसे छात्र भूख हड़ताल पर, हाथों में तख्तियां लेकर पर छत पर बैठे
कोटा। राजस्थान में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। प्रदेश की कोचिंग नगरी कोटा भी इससे अछूती नहीं है। ऐसे में कोटा में कोचिंग करने आए हजारों छात्र फंसे हुए हैं, जिन्हें सकुशल घर पहुंचाने के लिए उनके स्टेट की सरकार प्रयास भी कर रही है। बता दें कि राजस्थान में 2008 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इनमें कोटा के 140 केस हैं। कोटा के 8 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट शुक्रवार दोपहर को पॉजिटिव आई है।
गांधी के सिद्धान्तों पर कोटा कोचिंग छात्र
कोटा फंसे छात्र अपने घर जाने के लिए अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा चुके हैं। थक हारकर अब छात्र उपवास की राह पर हैं। वे अपने हॉस्टल में ही उपवास कर रहे हैं। हाथों में तख्तियां लेकर सरकार से घर बुलाने की गुहार लगा रहे हैं। कोटा कोचिंग छात्र महात्मा गांधी के सिद्धान्तों को दर्शाते हुए बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो का संदेश भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है। उपवास के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी कर रहे हैं।
बिहार सरकार नहीं ले रही सुध
मीडिया से बातचीत में बिहार के दरभंगा की मिलन जायसवाल ने बताया कि सभी राज्यों के विद्यार्थी जा रहे हैं, लेकिन बिहार सरकार उनकी नहीं सुन रही है। उनकी सकुशल घर वापसी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। बिहार की छात्रा अनन ने बताया हमें यहां बहुत मानसिक तनाव हो रहा है। सभी राज्यों के विद्यार्थी यहां से जा रहे हैं, लेकिन हमारी सरकार हमारी सुध नहीं ले रही। माता-पिता फोन पर हालचाल पूछते हैं तो हम परेशानी भी नहीं बता पा रहे, क्योंकि इससे उनका भी तनाव बढ़ेगा।
कोटा से 16 हजार छात्र लौटे, 20 हजार अभी भी फंसे
ऐसे नहीं है कि सारे छात्र कोचिंग स्टूडेंट कोटा में फंसे हुए हैं। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों की सरकारों ने विशेष बसों का इंतजार कर अपने विद्यार्थियों को घर पहुंचाया है। गुरुवार को भी करीब 43 बच्चे रवाना हुए हैं। इनमें सिलवासा के 20, दादर नागर हवेली के 9 और दमन दीव के 14 बच्चे शामिल हैं। कोटा से अब तक 16 हजार से ज्यादा बच्चे अपने घर लौट चुके हैं। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और मध्यप्रदेश के विद्यार्थी जा चुके हैं। अभी भी कोटा में 20 हजार से ज्यादा विद्यार्थी हैं। इनमें काफी बड़ी संख्या बिहार और झारखंड के विद्यार्थियों की है। वे लगातार अपने घर जाने क कोशिश में लगे हैं।
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