पीएम मोदी को 24 घंटे के अंदर ममता का दूसरा पत्र, लिखा-'एक देश एक विचार' थोपना गलत
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को पीएम मोदी को लेटर लिखकर कोरोना के टीकों की खरीद में मदद की थी। अब ममता ने एक बार फिर से ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। ममता बनर्जी ने गुरुवार को पीएम को पत्र लिखा, इस बार 'विश्वविद्यालयों की आजादी' की मांग की है। दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से ऑनलाइन,वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस,सेमिनार, ट्रेनिंग को लेकर सख्त गाइडलाइन जारी की हैं।
ममता बनर्जी ने लिखा कि विश्वविद्यालयों को अपने समकक्षों के साथ नियमित रूप से बातचीत करने के लिए स्वशासन और स्वतंत्रता का अनुभव होना चाहिए। उन्होंने पत्र में लिखा ज्ञान किसी एक देश या समुदाय की रचना या संपत्ति नहीं है। तार्किक नियमन और पाबंदियां समझ में आती हैं। कार्यालय ज्ञापन द्वारा थोपी गई पाबंदियां हमारे देश में उच्च शिक्षा प्रणाली के केंद्रीयकरण की भारत सरकार की मंशा को और रेखांकित करती हैं।
ममता ने पत्र में लिखा कि, शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है और शिक्षण संस्थानों को ऐसे निर्देश जारी करने से पहले राज्य सरकारों के साथ परामर्श न करना संघीय ढांचे की भावना के विपरीत होगा। हमारे विश्वविद्यालय को पूरी छूट मिलनी चाहिए। संस्थानों के अंदर एजुकेशनल एक्टिविटी कैसी होनी चाहिए ये वो खुद तय करेंगे। इसके लिए सरकार की तरफ से गाइडलाइन नहीं होनी चाहिए।
ममता ने कहा कि, केंद्र सरकार की तरफ से 'एक देश एक विचार' लाकर क्या वो सबके सोचने की प्रक्रिया को एक जैसी बनाना चाहते हैं? यह ठीक नहीं है। उनका पत्र केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के 15 जनवरी के आदेश के बाद आया है। जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित विश्वविद्यालयों को किसी भी ऑनलाइन / आभासी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन / सेमिनार के प्रशिक्षण के लिए संबंधित "प्रशासनिक सचिव" की "स्वीकृति" लेनी होगी।
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