West Bengal Election: भबानीपुर का संग्राम, क्या शोभनदेव बचा पाएंगे ममता बनर्जी का गढ़ ?
कोलकाता। चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। इनमें ही पश्चिम बंगाल भी है जहां पर विधानसभा चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल चुनाव में हाल में जिस खबर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी वह थी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अपनी भबानीपुर विधानसभा सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ना। ममता बनर्जी के भबानीपुर सीट छोड़ने के बाद सबकी नजर इस बात पर थी कि ममता बनर्जी की इस सीट से टीएमसी किसे उम्मीदवार बनाएगी। टीएमसी के सभी 294 सीटों के उम्मीदवारों का ऐलान होने के साथ ही यहां की तस्वीर भी साफ हो गई है। टीएमसी ने भबानीपुर सीट से पार्टी के पुराने नेता शोभनदेव चट्टोपाध्याय को मैदान में उतारा है।
भबानीपुर सीट पर दिलचस्प होगा संग्राम
कभी वाम का गढ़ रहे बंगाल में 2011 में ममता दीदी ने परचम लहराया तो इसे अपने दुर्ग में तब्दील कर लिया। इस बार ममता दीदी के पास इस दुर्ग को जीतने की चुनौती है। टीएमसी के साथ सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उसके दिग्गज नेता अब पाला बदलकर बीजेपी के साथ हैं। इनमें से ही प्रमुख नेता हैं शुभेन्दु अधिकारी जो नंदीग्राम से बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। बंगाल की राजनीति में बेहद अहम रहे नंदीग्राम क्षेत्र में शुभेन्दु अधिकारी का खासा असर है। यही वजह है कि ममता बनर्जी ने फैसला किया कि वह खुद शुभेन्दु अधिकारी के खिलाफ मैदान में उतरेंगी।
पहले ये खबर आ रही थी कि ममता बनर्जी भबानीपुर और नंदीग्राम दो जगह से चुनाव लड़ेंगी लेकिन ममता ने खुद ही साफ कर दिया कि वह एक ही सीट नंदीग्राम से लड़ेंगी। लगातार 2 बार ममता बनर्जी के विधायक रहने के चलते भबानीपुर सीट भी खास बन चुकी है ऐसे में पार्टी यहां पर लड़ाई में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी ने यहां से ममता बनर्जी के पुराने सहयोगी शोभनदेव को उम्मीदवार बनाया है।
ममता बनर्जी ने खुद चुना शोभनदेव को
शोभनदेव के नाम का ऐलान खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया और कहा "मैं वादों पर कायम रहने पर विश्वास करती हूं। आज मैं आधिकारिक रूप से घोषणा करती हूं कि मैं नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी। वास्तव में मैं ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही हूं और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन उम्मीदवार है। इस बार मैं भबानीपुर से चुनाव नहीं लड़ रही हूं और इसकी जगह हमने शोभनदेव चट्टोपाध्याय को भबानीपुर सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया है।"
शोभनदेव के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ममता बनर्जी ने खुद उनसे अपनी पुरानी सीट से प्रत्याशी बनने को कहा है।
कौन हैं शोभनदेव ?
शोभनदेव का लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है और वह ममता बनर्जी के भी पुराने सहयोगियों में शामिल हैं। 2016 में जब ममता बनर्जी दोबारा मुख्यमंत्री बनी तो चट्टोपाध्याय को गैर परंपरागत ऊर्जा मंत्री बनाया गया। शोभनदेव ने टीएमसी के विधायक के रूप में पहली बार 1998 में जीत हासिल की थी। इसके साथ ही वह तृणमूल कांग्रेस की मजदूर शाका इंडियन नेशनन तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संस्थापर अध्यक्ष भी रहे। वह 2011 से 2016 तक विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक रहे।
ममता बनर्जी की तरह ही शोभनदेव भी पहले कांग्रेस में थे। उन्होंने 1991 और 1996 में बरुईपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। टीएमसी में आने पर उन्होंने 2001 और 2006 में दक्षिण कोलकाता की रासबिहारी सीट से जीत हासिल की। 2016 में एक बार फिर इसी सीट से जीतकर वह विधानसभा पहुंचे और मंत्री बने। इस बार टीएमसी ने उन्हें भबानीपुर सीट से मैदान में उतारा है।
भबानीपुर में चुनावी समीकरण
भबानीपुर का समीकरण समझने से पहले थोड़ा भबानीपुर सीट का गणित समझ लेते हैं। दक्षिण कोलकाता में स्थित यह सीट कभी कांग्रेस का अभेद्य किला हुआ करती थी। ये तब की बात है जब ममता बनर्जी भी कांग्रेस पार्टी की ही सिपाही थीं। ममता बनर्जी का घर भी इसी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है। बाद में जब ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी बनाई तो इस सीट को कांग्रेस से झटककर टीएमसी का गढ़ बना दिया। 2011 में जब ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं तो विधायक बनने के लिए इसी सीट से उपचुनाव लड़ा। तब पार्टी के विधायक सुब्रत बख्शी ने ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने के लिए इस सीट से इस्तीफा दिया था।
बंगाली वोटर की बहुलता वाली इस सीट पर वैसे तो टीएमसी जीतती रही है लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने बढ़त हासिल कर ली थी। वैसे सिखों और गुजराती मतदाताओं के चलते भबानीपुर में टीएमसी और बीजेपी के बीच मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है।