कौशांबी से पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज ने किया नामांकन, राजा भैया-भाजपा को सीधी टक्कर
Kaushambi news, कौशांबी। कौशांबी लोकसभा सीट पर महासंग्राम का आधिकारिक समर शुरू हो चुका है। नामांकन के पहले दिन बसपा सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज ने गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर नामंकन दिया है। हालांकि, कौशांबी सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में आयी है और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा छोड़कर आए इंद्रजीत पर अखिलेश ने भरोसा जताया है। यहां सियासी मुकबला त्रिकोणीय माना जा रहा है, जिसमें राजा भैया की पार्टी जन सत्ता दल व भाजपा को इंद्रजीत कड़ी टक्कर दे रहे हैं, लेकिन स्थानीय चेहरे गिरीश को मैदान में उतारने के कारण लड़ाई में कांग्रेस की भी उपस्थिति रहेगी।
इंद्रजीत का गढ़ माना जाता है कौशांबी
फिलहाल, इंद्रजीत सरोज की कर्मस्थली रही कौशांबी उनका गढ़ मानी जाती है और हर चुनाव में वह इस सीट को पूरी तरह से प्रभावित करते रहे हैंं। अभी तक बसपा के खेवनहार रहने वाले इंद्रजीत इस बार सपा की नैया को यहां से पार लगाने के लिए उतरे हैं और अगर उनके पुराने साथियों ने गठबंधन का धर्म निभाया तो उनकी जीत का रास्ता काफी आसान हो जाएगा।
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बसपा वोट करेंगे फैसला
बहुजन समाज पार्टी के मूल वोटरों की संख्या कौशांबी सीट पर हमेशा से चुनाव को प्रभावित करती रही है, लेकिन इस बार सांसदीय चुनाव में बसपा का यहां कोई प्रत्याशी नहीं है, बल्कि इस सीट पर बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर इंद्रजीत सरोज मैदान में हैं। इंद्रजीत खुद बसपा के नेता रहे और इस इलाके में उनका पूरा वर्चस्व रहा। ऐसे में सपा के मूल वोट तो इंद्रजीत को मिलेंगे, लेकिन समस्या बसपा के गठबंधन धर्म को निभाने के लिए बसपाईयों के आगे आने की मंशा पर होगा। चूंकि इस इलाके से राजा भैया का भी प्रत्याशी मैदान में है और यह किसी से छिपा नहीं कि राजा भैया को किस तरह से वोटिंग होती है। ऐसे में बसपा वोटों को समेटने वाले प्रत्याशी की जीत को काफी धार मिलेगी।
मौजूदा सांसद की मुश्किल
कौशांबी के चुनाव में अबकी बार असल परीक्षा मौजूदा सांसद विनोद सोनकर की है। जनता उनसे पांच साल का हिसाब भी मांग रही है और राजा भैया के इलाकों में उनका भारी विरोध भी हो रहा है। अपनी सीट को बचाये रखने के लिए सोनकर को भी निचले तबके के वोटों का जुगाड़ करना होगा। चूंकि उच्च वर्ग व भाजपा के मूल वोटर सोनकर के साथ जायेंगे। पटेल बिरादरी का भी वोट सोनकर के पक्ष में पड़ेगा, लेकिन बसपा के मूल वोटर का बिखराव कर जिस तरह राजा भैया खुद को मजबूत कर रहे हैं, उसी तरह सोनकर को भी अपने लिये गुणा गणित सेट करनी होगी। हालांकि, पीएम मोदी के नाम पर पिछला चुनाव जीते सोनकर इस बार भी पीएम के नाम पर ही वोट मांग रहे हैं।
बराबर टक्कर दे रहे इंद्रजीत
लोगों के बीच अपनी छवि को भुनाने में नफा नुकसान की गुंजाइश को देखते हुये सोनकर का यह कदम सियासत के मुफीद भी नजर आता है। हालांकि, सोनकर को सीधी टक्कर राजा भैया के अलावा गठबंधन प्रत्याशी इंद्रजीत दे रहे हैं और मौजूदा समय में तो इंद्रजीत ने गंगा के तराई, कुंडा इलाके में सोनकर पर बढ़त भी बना रखी है। हालांकि, इन इलाकों में राजा भैया का दल सब पर बढ़त बनाये हुये है। लेकिन कौशांबी दक्षिण में राजा भैया की ताकत कमजोर पड़ती है, यहां भाजपा भारी पड़ती नजर आती है और इंद्रजीत यहां वोट बैंक की राजनीति में बराबर की टक्कर दे रहे हैं।