क्या मैनपुरी से जुड़े हैं 25 जिलों में ड्यूटी करने वाली अनामिका शुक्ला की जालसाजी के तार, पुलिस को बताईं चौंकाने वाली बातें
कासगंज। नाम अनामिका शुक्ला, पेशे से साइंस की टीचर...लेकिन इनके कारनामें सुनकर कर हर कोई हैरान और परेशान है। अनामिका शुक्ला के कारनामों ने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या ऐसा भी संभव है। वहीं, अनामिका शुक्ला के नाम से शिक्षा विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। प्रदेश ही नहीं देशभर में अनामिका शुक्ला का नाम सुर्खियों में छाया हुआ है। हर कोई जानना यह चाहता है कि आखिर अनामिका शुक्ला है कौन? कैसे एक नाम पर एक साथ 25 जिलों में नौकरी पा ली। वहीं, ऐसा मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए थे।
सोरों पुलिस ने किया था गिरफ्तार करने का दावा
दरअसल, शनिवार को कासगंज की सोरों पुलिस ने शिक्षिका अनामिका शुक्ला गिरफ्तार करने का दावा किया था। अनामिका शुक्ला कासगंज के कस्तूरबा विद्यालय फरीदपुर में पूर्णकालिक रूप से सेवाएं दे रही थीं। शुक्रवार को बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने शिक्षिका के वेतन आहरण पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया था और व्हाट्सएप पर भेजा दिया था। शिक्षिका ने इस नोटिस को देखा तो शनिवार सुबह को वो अपना इस्तीफा देने बीएसए दफ्तर के बाहर पहुंची। इस पर बीएसए अंजली अग्रवाल ने सोरों पुलिस को मामले की जानकारी दी और कार्यालय के स्टाफ के माध्यम से घेराबंदी कर ली। पुलिस ने तुरंत आकर शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया और सोरों कोतवाली ले आई। कोतवाली प्रभारी रिपुदमन सिंह ने बताया कि फिलहाल पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।
पुलिस पूछताछ में किया चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि मीडिया को अपना नाम अनामिका सिंह बताने वाली कोई और नहीं बल्कि प्रिया जाटव है, वो अनामिका शुक्ला के दस्तावेजों पर नौकरी कर रही थी। प्रिया जाटव की मानें तो कुछ समय पहले उसकी मुलाकात गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बीएससी करते वक्त ही मैनपुरी निवासी राज नाम के व्यक्ति से हुई थी जिसने प्रिया को नौकरी की सलाह दी। एक लाख रुपए में दस्तावेज पर नौकरी लगवाने का वादा भी किया था। पुलिस की जांच में और भी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं।
क्या मैनपुरी से जुड़े है अनामिका शुक्ला के तार
कासगंज में गिरफ्तार हुई युवती ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के सामने फर्जी ढंग से नौकरी करने की बात स्वीकार की। बीएसए अंजली अग्रवाल ने बताया कि आरोपी शिक्षिका ने वर्ष 2018 में कासगंज के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई थी। पुलिस पूछताछ में युवती ने अपना नाम प्रिया बताया। वो फर्रुखाबाद जिले के लखनपुर की रहने वाली है। मैनपुरी जिले के राज नाम के युवक ने उसे झांसा दिया कि वो ऐसे दस्तावेज उपलब्ध करा देगा कि हर हाल में पूर्णकालिक शिक्षिका के रूप में नौकरी मिल जाएगी। इसके लिए युवक ने शिक्षिका से डेढ़ लाख रुपए लिए थे। उसने ही अगस्त 2018 में उसे नियुक्ति पत्र दिलाया था। जबकि उसके मूल दस्तावेज युवक ने खुद अपने पास रख लिए थे।
पुलिस को कराए दो मोबाइल नंबर उपलब्ध
प्रिया जाटव उर्फ अनामिका ने पुलिस को दो मोबाइल नंबर उपलब्ध कराए हैं। दोनों ही मोबाइल नंबर जालसाज राज के बताए गए हैं। पुलिस ने मोबाइल नंबरों को ट्रेस किया लेकिन दोनों बंद हैं। अब सर्विलांस टीम का सहारा लिया जा रहा है। पुलिस अब यह पता कर रही है कि मोबाइल नंबर किस आईडी पर हैं और अंतिम बार उन नंबरों पर किससे बात हुई। शिक्षिका के साथ-साथ पुलिस ने उसका त्यागपत्र देने बीएसए कार्यालय के युवक को भी हिरासत में ले लिया है। उससे भी पुलिस पूछताछ कर रही है। पता किया जा रहा है कि वह शिक्षिका की जालसाजी से जुड़ा है या नहीं। हालांकि अभी तक उस युवक ने पुलिस को कुछ स्पष्ट नहीं बताया है।
बागपत जिले में भी दर्ज हुआ मुकदमा
बागपत जिले में अनामिका शुक्ला के नाम मुकदमा दर्ज है, जबकि अब तक की जांच में विभाग ने पाया है कि अनामिका शुक्ला फर्रुखाबाद के गांव लखनपुर की है। वो कायमगंज की नई बस्ती में रह रही थी। फर्रुखाबाद में भी उसके खिलाफ जांच चल रही है। ऐसे में विभाग जांच करा है कि आखिर दस्तावेजों से जालसाज ने किस तरह और क्या-क्या छेड़छाड़ की। शिक्षिका ने गिरफ्तारी के बाद भी अपने शैक्षिक प्रमाणपत्र विभाग को उपलब्ध नहीं कराए हैं। विभाग ने उसके प्रमाणपत्रों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में जिला समन्वयक बालिका शिक्षा गौरव कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी कासगंज राजेंद्र बोरा, खंड शिक्षा अधिकारी श्रीकांत पटेल को शामिल किया गया है।
टीचर्स का डेटाबेस तैयार करते वक्त सामने आया था मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मानव सेवा पोर्टल पर टीचर्स का डेटाबेस तैयार करते वक्त यह गड़बड़झाला सामने आया है। दरअसल, डिजिटल डेटाबेस में शिक्षकों के पर्सनल रिकॉर्ड, जुड़ने और प्रमोशन की तारीख की जरूरत होती है। एक बार रिकॉर्ड अपलोड होने के बाद, यह पाया गया कि अनामिका शुक्ला, एक ही पर्सनल डिटेल्स के साथ 25 स्कूलों में सूचीबद्ध थीं। इस दौरान अनामिका को बीते 13 महीने में 25 केजीबीवी में करीब कुल एक करोड़ रुपए के मानदेय का भुगतान किया गया। जिसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है।