उमाकांत ने चौबेपुर थाने में सरेंडर के बाद किया खुलासा, कहा- हैवान था विकास दुबे, खिलाफ बोलने पर मुंह में करता था पेशाब
कानपुर। बिकरू शूटआउट कांड के आरोपी और दुर्दांत विकाद दुबे की आंख, नाक, कान कहे जाने वाले उमाकांत उर्फ बउउन शनिवार को गले में रहम की तख्ती डालकर चौबेपुर थाने पहुंचा। थाने पहुंचकर उमाकांत ने अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सरेंडर कर दिया। बता दें कि उमाकांत ने विकास दुबे के साथ मिलकर दबिश देने गई पुलिस टीम पर गोलिया बरसाई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उमाकांत ने चौबेपुर थाने में दुर्दांत विकास दुबे के बारे कई बड़े खुलासे किए है।
उमाकांत से पुलिस कर रही है पूछताछ
दरअसल, उमाकांत उर्फ बउउन के चौबेपुर थाने में सरेंडर करने के बाद पुलिस विभाग के आलाधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं। पूछताछ में पुलिस को आरोपी उमाकांत शुक्ला से बिकरू हत्याकांड से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां भी मिली हैं। साथ ही विकास दुबे और उसके साथियों ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद असलहे कहां छिपाए थे, इसकी जानकारी उमाकांत से मिल सकती है। बता दें कि उमाकांत शुक्ला बिकरू गांव का रहने वाला है। उमाकांत शुक्ला का घर उस शौचालय के ठीक सामने है, जहां पर पांच पुलिसकर्मियों के शवों को एक के ऊपर एक करके रखा गया था।
बिकरू शूटआउट में शामिल था उमाकांत
उमाकांत विकास के ट्रैक्टर का काम देखता था। उमाकांत का कहना है कि बिकरू गांव में जो घटना हुई थी उसमें मैं भी शामिल था, यह बहुत ही निंदनीय घटना थी। बिकरू हत्याकांड में विकास के साथ में अमर दुबे, प्रभात मिश्रा, जिलेदार, रामसिंह, शशिकांत पांडेय, रामाराम, अतुल दुबे, बड़ी संख्या में लोग इसके साथ थे। उसने बताया कि गांव में विकास दुबे अपनी दहशत कायम रखने को हैवानियत की किसी भी हद को पार करने को तैयार रहता था। खुलासा करने के साथ ही उमाकांत ने बताया कि विकास इंसान नहीं राक्षस था।
लाइसेंसी राइफल से दागीं थीं गोलियां
उमाकांत ने बताया कि विकास के कहने पर उसने अपनी लाइसेंसी राइफल से पुलिस कर्मियों पर गालियां दागीं थीं। घटना के बाद विकास ने कहा था कि सब लोग अलग-अलग हो जाओ। इसलिए वह शहर दर शहर घूमता रहा। जब कोई रास्ता बचने का नहीं दिखा तो थाने में सरेंडर करने की योजना बनाई।
'पुलिसवालों के शवों को घसीटकर शौचालय में रखा गया था'
खबर के मुताबिक, उमाकांत ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि बीती 2 जुलाई की रात विकास और उसके साथी पुलिसकर्मियों को ढूंढकर कर मार रहे थे। इसके बाद इधर-उधर जमीन में बिखरे पड़े पुलिसकर्मियों के शवों को विकास और उसके साथियों ने घसीटते हुए शौचालय में एक के ऊपर एक पांच शवों को रखा था। शवों को जलाने की पूरी तैयारी थी, लेकिन कुछ साथियों ने ऐसा करने से मना किया था।
'हैवान था विकास दुबे, विरोध करने वालों के मुंह में पेशाब करता था'
बिकरू हत्याकांड के आरोपी उमाकांत शुक्ला ने बताया कि इसका इतना आतंक था कि इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता था, वह राक्षस जैसा आदमी था। गांव में रहने वाले मुन्ना सक्सेना ने विकास दुबे के खिलाफ आवाई थी, तो विकास दुबे ने बीच गांव में उसकी जमकर पिटाई की थी। उसे जलील करने के लिए मुंह में पेशाब कर दी थी। विरोध करने वालों के साथ विकास इस तरह का व्यवहार करता था।