19 साल पहले थाने में घुसकर विकास दुबे ने की थी राज्यमंत्री की हत्या, कोई गवाह न मिलने पर हो गया था बरी
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में गुरुवार की रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर घात लगाकर विकास दुबे गैंग ने हमला बोल दिया था। इस हमले में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। आठ पुलिसकर्मियों की शाहदत के बाद विकास दुबे और उसके साथियों की धर-पकड़ तेज हो गई हैं। शुक्रावार की सुबह विकरू के जंगलों में पुलिस की दुबे गैंग से मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में पुलिस ने विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और साथ अतुल दुबे को मार गिराया है।
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इस घटना के बाद से कहलाता था वो शिवली का डॉन
हिस्टीशीटर विकास दुबे की अगर बात करे तो उसका एक लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। 19 साल पहले उसने साल 2001 में विकास दुबे ने थाने के अंदर घुसकर राजनाथ सिंह सरकार में राज्यमंत्री रहे संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। इस हाई-प्रोफाइल मर्डर के बाद उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और कुछ माह के बाद जमानत पर बाहर आ गया था। बताया जाता है कि थाने में घुसकर राज्यमंत्री की हत्या का आरोप लगने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया। इसी घटना के बाद वो 'शिवाली का डॉन' नाम से मशहूर हो गया था।
बना रखी थी युवाओं की फौज
हिस्ट्रीशीटर विकास कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव का रहने वाला है। उसने युवाओं की फौज तैयार कर रखी है। इसी के साथ वह कानपुर नगर से लेकर कानपुर देहात तक लूट, डकैती, मर्डर जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा है। 2000 में विकास ने शिवली इलाके के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा भी हुई थी। विकास दुबे पर 60 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अपराध से बनाई सत्ता में गहरी पैठ
विकास दुबे ने अपने अपराधों के दम पर पंचायत और निकाय चुनावों में कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए। दरअसल, विकास दुबे 90 के दशक में जब इलाके में एक छोटा-मोटा बदमाश हुआ करता था तो पुलिस उसे अक्सर मारपीट के मामले में पकड़कर ले जाती थी। लेकिन उसे छुड़वाने के लिए स्थानीय रसूखदार नेता विधायक और सांसदों तक के फोन आने लगते थे। विकास दुबे को सत्ता का संरक्षण भी मिला और वह एक बार जिला पंचायत सदस्य भी चुना जा चुका था। उसके घर के लोग तीन गांव में प्रधान भी बन चुके हैं। अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो विकास दुबे ऊपर कैबिनेट मंत्रियों तक का हाथ था।
अपराधों की लिस्ट है काफी लंबी
विकास दुबे इसके अलावा, वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था। कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास की जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है। वर्ष 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है। वर्ष 2018 में विकास दुबे नें अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला किया था। उसने माती जेल में बैठकर पूरे साजिश रची थी। अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था।
विकास ने बना रखा है किलेनुमा घर, मिले एके-47 के खोखे
विकास दुबे ने घर को किलेनुमा बना रखा है। घर के बाहर बने बड़े से हाते को बाउंड्रीवाल से घेर रखा है। जिसके गेट पर सीसीटीवी लगे हैं। गेट के ठीक सामने जेसीबी को खड़ा किया गया था। घर के भीतर से ही गेट पर आने जाने वालों पर इससे आसानी से नजर रखी जा सकती थी। घर के भीतर कई लग्जरी गाड़ियां खड़ी थीं, जिनके शीशे टूट गए। कहा जा रहा है कि, रात में जब पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई तो ये शीशे टूटे हैं। मौके पर एके-47 के खोखे भी बरामद हुए हैं। गांव में सन्नाटा पसरा है। लोग अपने घरों को छोड़कर फरार हो गए हैं।