विकास दुबे एनकाउंटर: विकास दुबे गैंग के सदस्यों पर पुलिस का शिकंजा, शरण देने वाले दो लोग गिरफ्तार
लखनऊ। कानपुर देहात के बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले दुर्दांत अपराधी और पांच लाख रुपए के इनामी बदमाश विकास दुबे को पुलिस ने शुक्रवार की सुबह मुठभेड़ के बाद मार गिराया। विकास दुबे का मारे जाने के बाद अब पुलिस उसके मददगारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। शनिवार को चौबेपुर पुलिस ने कानपुर हत्याकांड में शामिल दो अपराधियों को शरण देने के आरोप में ग्वालियर से दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
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जानकारी के मुताबिक, चौबेपुर पुलिस ने दोनों आरोपियों को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से गिरफ्तार किया है। दोनों की पहचान ओम प्रकाश पांडेय और अनिल पांडेय के रूप में की गई। आरोप है कि दोनों ने विकास दुबे के मददगार और वांछित अपराधी शशिकांत पांडेय और शिवम दुबे को अपने यहां पनाह दी थी। कानपुर पुलिस का कहना है कि इन दोनों के खिलाफ कानपुर में केस दर्ज है। उन्हें 11 जुलाई दिन शनिवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
वहीं, दूसरी तरफ अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि बिकरू कांड को अंजाम देने के मामले में 21 अभियुक्तों को नामजद किया गया था जबकि 60 से 70 अन्य अभियुक्त भी पुलिस के राडार पर हैं। उन्होंने बताया कि विकास दुबे समेत 6 नामजद अभियुक्त मारे जा चुके हैं, जबकि 3 को गिरफ्तार किया गया है। एडीजी ने कहा कि 21 में से 12 अपराधियों को भी भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वहीं मामले में अन्य अभियुक्तों में 8 को गिरफ्तार किया गया है।
एनकाउंटर
पर
उठ
रहे
सवाल
दरअसल,
उज्जैन
में
विकास
दुबे
की
गिरफ्तारी
का
वीडियो
सामने
आया
था,
जिसमें
वह
मीडिया
को
देखकर
चिल्ला
रहा
है
कि-
मैं
विकास
दुबे
हूं
कानपुर
वाला...।
स्थानीय
पुलिस
उसे
गिरफ्तार
कर
गाड़ी
में
ले
गई।
आखिर
ऐसा
क्या
हुआ
जो
उसने
भागने
की
कोशिश
की
यह
एक
सबसे
बड़ा
सवाल
है?
आइए
जानते
है
जो
इस
एनकाउंटर
पर
उठ
रहे
है
सवाल...
1. कानपुर की सीमा में आने के बाद एसटीएफ के काफिले की गाड़ी अचानक कैसे पलटी, जिसमें विकास मौजूद था। यदि इसे बारिश औऱ तेज स्पीड मान लिया जाए तो भी बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ क्यों खुले थे? क्या उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?
2. क्या लगातार भागने वाला विकास दुबे इस हालत में था कि उसने एक्सीडेंट होते ही पुलिस के हथियार छीन लिए? क्या एसटीएफ ने विकास दुबे को लाते समय सावधानी नहीं बरती, जो उसने पुलिस से भिड़ने की हिम्मत जुटाई?
3. विकास दुबे ने पहले पुलिस पर फायर किए या पुलिस ने उसे रोकने के लिए गोली चलाई? दोनों तरफ से इस एनकाउंटर के दौरान कितने राउंड गोली चली?
4- प्रभात के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने इसी तरह का घटनाक्रम बताया था कि पहले पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई फिर प्रभात पुलिसकर्मियों से पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करने लगा और फिर एनकाउंटर में मारा गया। आज भी सबकुछ ठीक उसी तरह से हुआ है। प्रभात वाले घटनाक्रम से सबक क्यों नहीं लिया गया?
5. जिस विकास दुबे ने खुद उज्जैन में चिल्ला चिल्लाकर मीडिया के सामने गिरफ्तारी दी थी। अचानक शुक्रवार की सुबह उसका मन कैसे बदल गया? खुद सरेंडर करने वाला विकास दुबे क्यों एक हथियार लेकर भागने की कोशिश करेगा?
6. आखिर कानपुर आकर ही क्यों भागने लगा था विकास दुबे
7- मीडियाकर्मियों का दावा है कि वे भी उस काफिले के साथ ही उज्जैन से आ रहे थे, लेकिन दुर्घटना स्थल से कुछ पहले मीडिया और सड़क पर चल रही निजी गाड़ियों को रोक दिया गया था। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इसका फुटेज जारी किया है। आखिर क्यों मीडिया को आगे बढ़ने से कुछ देर के लिए रोक दिया गया था? यदि विकास ने भागने की कोशिश की तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? इस तरह के और भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका अभी पुलिस को जवाब देना होगा।
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