संत शोभन सरकार का निधन, उन्नाव के इस गांव में 1000 टन सोने का किया था दावा
कानपुर। परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार का बुधवार को निधन हो गया। शोभन सरकार के निधन से भक्तों में शोक की लहर है। कानपुर देहात के शिवली कोतवाली क्षेत्र के बैरी में बने उनके आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं। बता दें कि शोभन सरकार 2013 में उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उनके एक सपने के आधार पर उन्नाव के ढौंडिया खेड़ा में आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की टीम खजाने की खोज में जुट गई थी।
खुदाई के बाद भी नहीं मिला था खजाना
शोभन सरकार ने दावा किया था कि उन्हें सपने में फतेहपुर के रीवा नरेश के किले में शिव चबूतरे के पास 1000 टन सोने के दबे होने का पता चला है। इसके बाद ही साधु शोभन सरकार ने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी। स्थिति तब हास्यास्पद हो गई जब सरकार ने उनके सपने को सच मानते हुए खजाने को खोजने के लिए खुदाई भी शुरू करवा दी। हालांकि कई दिनों तक चली खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिला।
सबके अपने-अपने दावे थे
बता दें एक साधु के सपने के आधार पर खजाने की खोज पर केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। वहीं, खजाने के कई दावेदार भी सामने आ गए थ। राजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था। वहीं ग्रामीणों ने भी उस पर दावा किया था। जिसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का हक़ होगा। उधर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्य सरकार का हक होगा।
कौन थे साधु शोभन सरकार?
शोभन सरकार का पूरा नाम है परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार। इनका जन्म कानपुर देहात के शुक्लन पुरवा में हुआ था। पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था। कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था। कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते थे। गेरुए रंग की लंगोट पहनते थे और सिर पर चादर बांधते थे और बदन पर अंगवस्त्र होता था।
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