कानपुर: मुस्लिमों ने कराया दुर्गा मंदिर में कन्याओं को भोजन, तोहफे में दीं कॉपी-किताबें, देखिए
कानपुर। उत्तर प्रदेश में कानपुर के जाजमऊ स्थित सिद्धेश्वर घाट के पास दुर्गा पंडाल में विराजी मां दुर्गा के दर पर सांप्रदायिक सौहार्द की खूबसूरत झलक दिखी। यहां नवरात्रि पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी कन्याओं को भोजन कराया। साथ ही उन्हें पढ़ने के लिए कलम-दवात, कॉपी-किताबें दीं। उन्होंने बेटी-पढ़ाओ और बेटी-बचाओ का संकल्प लेते हुए दुर्गा मां से सभी बच्चों को पढ़ाने की मन्नत भी मांगी। कौमी एकता की यह मिसाल प्रदेशभर के हिंदू-मुसलमान भाईचारे की गवाह है।
कानपुर के जाजमऊ लगा दुर्गा पंडाल
संवाददाता के अनुसार, जाजमऊ के सिद्धनाथ घाट मोड़ स्थित दुर्गा मंदिर में सुबह के वक्त कन्या भोज का आयोजन रखा गया था। जहां मुन्नी बच्चियों को केला, अंगूर, सेब, बिस्किट, मिठाई खिलाई गई और कलम और किताबें भी दी गईं। संदेश दिया गया कि बेटी बेटी होती है, वह हिंदू की हो या मुसलमान की। उसे भी आगे बढ़ना और पढ़ लिखकर देश के विकास में अहम रोल अदा करना है।
बच्चों को खाना खिलाकर यह बोले मुस्लिम
इस मौके पर एक महिला असलम बेग ने कहा कि शिक्षा के प्रति सरकार सजग है। सरकार की इस मुहिम के साथ आमलोगों को आगे बढ़ाना होगा। वहीं, फैसल जमाल ने कहा कि आज भी सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जो अपनी बेटियों को शिक्षा से दूर किए हुए हैं। इस पावन पर्व पर हमने इन्हीं बेटियों को मां दुर्गा के पंडाल में भोज कराया। किताबें देकर स्कूल जाने का संकल्प दिलवाया।
दो तन एक जान हैं, हैं तो इंसान ही
वहीं, मोहम्मद रशीद ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम दो तन एक जान हैं। कुछ लोग निजी स्वार्थों के लिए इन्हें लड़ाने का काम करते हैं, लेकिन हम सबका पैगाम मोहब्बत और भाईचारा है। भारत ही एक ऐसा देश है, जहां सभी धर्मो के लोग मिलजुल कर रहते हैं और एक-दूसरे के त्योहरों में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं। रशीद कहते हैं कि गंगा-जमुनी तहजीब को कोई नहीं तोड़ सकता। इसकी बुनियाद बहुत गहरी हैं।
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