अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे बालिग है या नाबालिग, इस बात का फैसला करेगा किशोर न्याय बोर्ड
कानपुर। बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात हुए शूटआउट में जेल भेजी गई नवविबाहिता खुशी दुबे (अमर दुबे की पत्नी) को लेकर एक बार फिर नया मोड़ आ गया है। दरअसल, खुशी के वकीन ने कानपुर देहात की डकैता कोर्ट में उसके नाबालिग होने का दावा किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट में इससे संबंधित कागजात भी पेश किए गए हैं। दावा किया गया है कि खुशी की हाई स्कूल की मार्कशीट और प्रमाण पत्र से उसकी आयु अभी 16 साल ही है, जबकि पुलिस ने उसे बालिग दिखाकर जेल भेजा है।
खुशी बालिग है या किशोर, इसका फैसला किशोर न्याय बोर्ड करेगा
खबर के मुताबिक, खुशी के पिता श्यामलाल तिवारी के वकील की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र पर विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र (एंटी डकैती कोर्ट) ने खुशी की आयु निर्धारण के लिए फाइल बोर्ड को स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं। खुशी के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि खुशी की उम्र लगभग 16 वर्ष 10 माह है। शैक्षिक प्रमाण पत्रों से इसकी पुष्टि भी होती है। किशोर होने के बावजूद पुलिस ने खुशी को एक माह से जेल में रखा है। इस पर उन्होंने एंटी डकैती कोर्ट में खुशी को किशोर घोषित करने के लिए अर्जी दाखिल की। वहीं अब खुशी बालिग है या किशोर, इसका फैसला किशोर न्याय बोर्ड करेगा।
21 अगस्त 2003 में हुआ था खुशी का जन्म
शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर खुशी का जन्म 21 अगस्त 2003 को हुआ था। उम्र की पुष्टि के लिए हाईस्कूल का प्रमाण पत्र व अन्य शैक्षिक प्रमाण पत्र भी पेश किए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने खुशी की आयु का फैसला करने के लिए फाइल को किशोर न्याय बोर्ड भेजने के आदेश कर दिए हैं। आपको बता दें कि खुशी को पुलिस गैंगस्टर विकास दुबे का सहयोगी बताकर जेल भेज चुकी है। फिलहाल वह कानपुर देहात की जेल में बंद है।
विकास दुबे का दाहिना हाथ था अमर दुबे
बता दें कि अमर दुबे, गैंगस्टर विकास दुबे का सहयोगी था। पुलिस ने उसे हमीरपुर जिले में मार गिराया था। अमर को विकास दुबे का दाहिना हाथ माना जाता था। अमर दुबे की शादी उसके एनकाउंटर से तीन दिन पहले 29 जून को ही हुई थी। अमर की शादी को अभी तीन दिन ही हुए थे कि बिकरू कांड हो गया था। बिकरू कांड के बाद अमर दुबे की पत्नी खुशी भागकर अपने मायके चली गई थी। पुलिस ने उस पर भी इस जघन्य कांड में संलिप्तता का आरोप लगा मामला दर्ज किया था। इससे पहले एनकाउंटर में मारे गए प्रभात मिश्रा को भी उसके परिवार वालों ने नाबालिग बताकर उसकी मार्कशीट दिखाई थी। बाद में कानपुर पुलिस ने दावा किया था कि प्रभात बालिग था। उसकी दो मार्कशीट थी। नकली मार्कशीट में उसने अपनी उम्र कम दिखाई थी, जबकि असली मार्कशीट में वो बालिग था।